राजस्थान में एक हत्या के मामले ने लोगों को हैरत में डाल दिया है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है. बहू पर आरोप है कि उसने जहरीले सांप की मदद से अपनी सांस की हत्या करा दी. कोर्ट ने बुधवार को कहा कि एक बुजुर्ग महिला की हत्या के लिए जहरीले सांप का उपयोग हथियार के तौर पर करना जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है। इस मामले में अदालत ने आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया है. चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत जस्टिस हिमा कोली की बेंच के सामने यह अनोखा मामला आया था.
क्या है पूरा मामला?
यह मामला राजस्थान के झुनझुनु जिले का है. बताया जा रहा है कि महिला का पति एक आर्मी मैन है। वह अपने गृह जिले से दूर तैनात था। महिला अपनी सास के साथ रहा करती थी. इस दौरान वह अपने पुराने आशिक के संपर्क में थी, जिसका उसकी सास अकसर विरोध किया करती थी। महिला का ससुर भी नौकरी के सिलसिले में बाहर रहा करता था। ऐसे में दोनों के बीच आए दिन लड़ाई हुआ करती थी. बहू इन बातों से तंग आ चुकी थी। तभी उसने खौफनाक साजिश रच डाली हत्या को हादसे की शक्ल देनी की कोशिश की.
महिला ने अपने आशिक उसके दोस्तों के साथ मिलकर झुनझुनु जिले के एक संपेरे से जहरीले सांप का इंतजाम किया. सांप को एक बैग मे भर लिया। 2 जून 2018 की रात को महिला ने सांप वाले बैग को अपनी सास के पास रख दिया। अगली सुबह सास मृत पाई गई. उसे अस्पताल लाया गया, जहां पर डॉक्टरों ने मौत का कारण सांप डसना बताया.
पुलिस ने ऐसे कातिल को पकड़ा
राजस्थान दूसरे राज्यों में सर्प दंश से मौत के मामले सामान्य तौर पर आते रहते हैं. झुनझुनु पुलिस ने भी इसे एक साधारण मामला माना. लेकिन पुलिस तब हैरत में पड़ गई, जब उसने पाया कि घटना वाले दिन मृत महिला की बहू एक शख्स के बीच 100 से अधिक बार फोन पर बातचीत हुई. पता चला कि ये दोनों लंबे समय से एक दूसरे से फोन पर संपर्क में थे। वह शख्स कोई नहीं, मृत महिला की बहू का आशिक था.
पुलिस ने महिला, उसके आशिक उसके एक दोस्त को गिरफ्तार कर लिया. इतना ही नहीं, पूछताछ के आधार पर पुलिस उस संपेरे तक पहुंच गई जिसने इस हत्या को अंजाम देने में मदद की थी। संपेरा इस मामले में गवाह बन गया. उसने मैजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दिया कि महिला के आशिक के कहने पर उसने इस तरह का कृत किया.
सांप को नहीं पता किसे काटना है
महिला के आशिक की तरफ से एडवोकेट आदित्य कुमार चौधरी ने सीजेआई की अगुआई वाली बेंच के सामने ये दलील दी कि उनका मुवक्किल क्राइम सीन पर मौजूद नहीं था. वकील ने दलील दी कि ऐसे में उसे कैसे साजिश का भाग माना जा सकता है. आखिर किसे पता था कि सांप किसको काटेगा? किसी कमरे में जहरीले सांप को छोड़ने का यह अर्थ नहीं है कि सांप को पता है कि उसे किसे काटना चाहिए। पुलिस ने कॉल रिकॉर्ड की विश्वसनीयता को जांचा नहीं है। उनका मुवक्किल एक साल से अधिक वक्त से जेल में है.’