वसई:- कोरोना महामारी के बीच सोशल डिस्टेंसिंग के साथ हरवर्ष की भांति इसवर्ष भी महान शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा की जयंती हर्षोल्लास से मनाई गई. हालाकि इस विश्वव्यापी महामारी को देखते हुए लोगों ने भगवान कि बड़ी प्रतिमाएं स्थापित नहीं किए. गुरुवार को वसई विरार क्षेत्र स्थित हर छोटे बड़े कल कारखानों में निर्माण कार्य में उपयोग होने वाले मशीनों और औजारों की दीप, धूप, पुष्प, गंध, सुपारी आदि का प्रयोग कर विधिवत पूजा अर्चना कर भगवान से अपने व्यापार में तरक्की की कामना की. विश्वकर्मा पूजा को लेकर लोगों की ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव ने पार्वती से विवाह के बाद विश्वकर्मा से सोने की लंका का निर्माण करवाया था. शिवजी ने इसके गृह पूजन के लिए पंडित के तौर पर रावण को बुलवाया था. गृह पूजन कराने के बाद रावण ने इसे दक्षिणा के रूप में भगवान शिव से मांग लिया था. पूजा के दौरान होने वाले भीड़ भाड़ से बचने के लिए भक्तों द्वारा इसवर्ष विशेष आयोजन नहीं किया. ताकि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जारी नियमों का उलंघन ना हो.
विश्वकर्मा चेरिटेबल संस्था अध्यक्ष राजेंद्र शिवनाथ विश्वकर्मा ने बताया कि इसवर्ष कोरोना संक्रमण को देखते हुए वसई पश्चिम में बैठाए जाने वाले सार्वजनिक प्रतिमा स्थापना एवं अन्य आयोजन नहीं किए गए. क्योंकि ऐसा करने से लोगों कि भीड़ एकत्र होती है. जिसके कारण सामान्य ठंग से भगवान की विधिवत पूजा अर्चना कर कार्यक्रम को संपन्न किया गया.