अमीरों के मुकाबले गरीबों में रोग रोधी बहुलता , सीरो सर्वेक्षण में सामने आया चौंकाने वाला खुलासा
मुंबई-भले ही संपन्न और अमीर लोग काजू बादाम खाकर अपने आप को स्वस्थ समझने का भ्रम पाले रहें लेकिन एंटीबॉडीज के मामले में वे मिट्टी से जुड़े गरीबों से बहुत पीछे हैं. मुंबई मनपा द्वारा कराए गए सीरो सर्वेक्षण में जो चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है उसके अनुसार अमीरों के मुकाबले में गरीबों के शरीर में रोग रोधक एंटीबॉडी अधिक होती है. सर्वे के मुताबिक जो लोग नालों, कीचड़ों, मच्छरों के बीच रहते है, सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग करते हैं, बिना उबाले और छाने पानी पीते हैं, ऐसे स्लम इलाकों में रहने वाले लोगों में एंटीबॉडीज की मात्रा अधिक पायी गयी है। यह एंटीबॉडी कोरोना वायरस से लड़ने में अत्यंत सहायक सिद्ध होता है। इसके उलट जो हमेशा एसी में रहते हैं, मिनरल वाटर पीते हैं, एक छींक आने पर अस्पताल में एडमिट हो जाते हैं, उनके अंदर एंटीबॉडीज की मात्रा कम पाई गई है।
मुंबई मनपा ने जुलाई, अगस्त और सितंबर में पश्चिमी उपनगर के एंटॉप हिल, वडाला (एफ-नॉर्थ), दहिसर (आर-नॉर्थ), चेंबूर-तिलक नगर (एम-वेस्ट) विभागो में सीरो सर्वेक्षण किया था। जिसके आधार पर तैयार की गयी रिपोर्ट में पता चला है कि आरामतलब लोगों की तुलना में मेहनतकश लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। सीरो सर्वेक्षण के माध्यम से रक्त में एंटीबॉडी की प्रबलता का पता चलता है। इस उद्देश्य के लिए डॉक्टरों की टीम द्वारा रक्त के नमूने एकत्र किए गए थे। प्रशासन द्वारा कोरोना कैसे फैलता है, इसका अध्ययन करने के लिए दो चरणों में सीरो सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया गया था। जुलाई के अंत में सर्वेक्षण का पहला दौर आयोजित किया गया था। दूसरे दौर का सर्वेक्षण अब जाकर पूरा हुआ है। पहले दौर में तीन वार्डों में से कुल 6,936 नमूने एकत्र किए गए थे जिसमें आर-उत्तर, एम-पश्चिम और एफ-उत्तर के इलाकों का समावेश था. इसमें स्लम और पॉश क्षेत्र शामिल हैं। सितंबर के अंत में आयोजित सर्वेक्षण के दूसरे दौर में आर-उत्तर, एम-पश्चिम और एफ-उत्तर के क्षेत्रों को शामिल किया गया था। इसमें कुल 5,384 नमूने एकत्र किए गए थे। इन नमूनों को संकलित करने में मनपा के स्वास्थ्य विभाग के 728 लोग शामिल थे। सीरो सर्वेक्षण से रक्त में एंटीबॉडी का प्रसार स्लम क्षेत्रों में लगभग 45 प्रतिशत और पॉश क्षेत्रों में लगभग मात्र 18 प्रतिशत पाया गया है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में एंटीबॉडीज का स्तर थोड़ा अधिक पाया गया है।