आजकल कमर दर्द की शिकायत इस कदर आम हो गईं हैं कि आप का कोई न कोई परिचित इससे परेशान अवश्य मिल जायेगा। वास्तव में आज यह समस्या इतनी आम हो गई है कि लगभग 80 प्रतिशत लोगों का पाला अपने जीवनकाल में कभी न कभी इससे अवश्य पड़ता है। आजकल, अधिकतर लोगों विशेषतः युवाओं में डिस्क, कमर दर्द की शिकायत एक आम बात हो गई है, जिसका मुख्य कारण आजकल की अनियमित दिनचर्या है।
आगे झुकने से, वजन उठाने से, झटका लगने से, गलत तरीके से उठने-बैठने व सोने से, व्यायाम के अभाव से एवं पेट आगे निकलने के कारण है। कुछ लोगों की शारीरिक बनावट ऐसी होती है कि वे स्लिप्ड डिस्क का श्किार हो जाते हैं। जो लोग रोज व्यायाम नही करते। वे इस दर्द के ज्यादा शिकार होते है। रक्त के थक्कों का जमाव, ट्यूमर और फोड़ा, एबसेसस प्रमुख रूप से साइटिका को पनपने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है.
अब मिनीमली इन्सवेंसिव स्पाइन सर्जरी (Minimally invasive Spine Surgery) के आ जाने से स्लिप्ड डिस्क (Slipped Disk) के इलाज में एक क्रांति आ गई है। अब नसों पर से डिस्क का दबाव हटाना बहेद आसान व प्रभावशाली हो गया है। मिनिमली इंवेसिव स्पाइन सर्जरी को ‘कीहोल सर्जरी’ के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें कि डिस्क को बिना नसों के आस-पास जाए हुए बाहर से बाहर ही निकाला जा सकता है, जिसके फलस्वरूप नसों के कटने या उनसे संबंध्ति जटिलताएं होने की संभावना बहुत कम हो जाती हैं।
एक पतली दूरबीन जैसे एक यंत्र जिसे ‘एंडोस्कोप’ (Endoscope) कहा जाता है, इस्तेमाल की जाती है जो कि एक छोटे से चीरे के द्वारा अंदर डाली जाती है। एंडोस्कोप एक छोटे विडियो कैमरे से जुड़ा होता है जो कि मरीज के शरीर के अंदर की सभी गतिविधियों को ऑपरेशन के कमरे में रखे टीवी की स्क्रीन पर प्रदर्शित की जाती है.
कमर दर्द के कारण
कमर दर्द में आपरेशन की नौबत लाने वाली मुख्य बीमारियां हैं स्लिप्ड डिस्क और लंबर केनाल स्टोनोसिस। इन दोनो ही बीमारियों की पहचान है कमर से लेकर पैरों में जाता हुआ दर्द। जिसके साथ ही साथ पैरों का सुन्न या भारी होना या चीटियां चलने जैसा एहसास भी हो सकता है। आगे चल कर दर्द के मारे चलने में असमर्थता और कई बार लेटे-लेटे भी कमर से पैर तक असहनीय दर्द होता रहता है।
स्लिप्ड डिस्क का रोग कमर के अलावा गर्दन में भी हो सकता है, जिसके कारण गर्दन से लेकर एक या दोनों हाथों में दर्द के साथ-साथ सुन्न या कमजोरी का एहसास हो सकता है। स्लिप्ड डिस्क की बीमारी में दरअसल होता यह है कि डिस्क के बीच का पदार्थ निकल कर पीछे से बाहर आ जाता है और नसों को दबाने लगता है, जिसके कारण ये दर्द नसों के साथ-साथ कमर से पैरों तक या गर्दन से हाथ तक जाता है।
कई बार एथेरोसक्लेरोसिस (Atherosclerosis) के कारण धमनी (Artery) से पैरों की तरफ जाने वाला रक्त अवरूद्ध हो जाता है, जो पीठ दर्द उत्पन्न करता है। आमतौर पर अस्सी से पच्चासी प्रतिशत कमर दर्द रोगी बिना ऑपरेशन से अमूमन ठीक हो जाया करते हैं, लेकिन बाकी मरीजों को आपरेशन करवाना पड़ सकता है। बिना आपरेशन के इलाजों में दवाईयों के अलावा पिफजियो थैरेपी व सही पोस्चर का ध्यान रखना मुख्य है।
मिनिमली इंवेसिव स्पाइन सर्जरी क्या है?
कंवेशनल स्पाइन सर्जरी (conventional spine surgery) की तुलना में मिनिमली इंवेसिव स्पाइन सर्जरी (Minimally invasive spine surgery) अधिक सुरक्षित है व ठीक होने में भी कम समय लेती है। इस में ऑपरेशन के बाद जटिलताएं अर्थात् किसी प्रकार की परेशानियां उत्पन्न होने के कम अवसर होते हैं। दूसरा, मिनिमली इंवेसिव स्पाइन सर्जरी में सर्जन द्वारा स्पाइन को प्रवेश करने की इज्जाजत देने के लिए अनुक्रमत्व विस्तार द्वारा मरीज की पीठ की मांसपेशियों के जरिए एक नली बनाई जाती है। इस से मिनिमल कोशिका नष्ट हो जाती है व इस से दर्द भी कम हो जाता है। कंवेशनल सर्जरी में वर्टिब्रे (पीठ की रीढ़ की हड्डी) के टुकड़े की मांसपेशियां निकाल दी जाती है। मिनिमली इंवेसिव स्पाइन सर्जरी में ऑपरेशन के निशान (ऑपरेटिव स्कार) एक या अधिक छोटे-छोटे निशान जिन का माप एक इंच तक होता है से बन जाते है। इस के विपरीत कंवेशनल सर्जरी में एक अकेला बड़ा सा निशान पड़ जाता है।
क्या इस तकनीक से स्पाइन समस्याओं से ग्रस्त सभी मरीजों को लाभ प्राप्त हो सकता है?
एम आई एस एस सभी मरीजों के लिए पूर्ण नहीं है। इस के सभी मरीज व्यक्तिगत रूप से मूल्यंाकित किए जाते हैं और उन के अनुसार उन्हें परामर्श दिया जाता है। यदि डाक्टर मरीज को अत्यधिक परम्परागत खुली अवधारणा को प्रमाणित करते है, तो इस का मतलब यह नहीं है कि इस को ठीक होने का समय बहुत लंबा या कष्टदायक चलेगा। इस के लिए मरीज को उपलब्ध सभी शल्यक्रिया विकल्पों के बारें में स्वयं को शिक्षित करना चाहिए और अपने डाक्टर के साथ इन विकल्पों के बारें में चर्चा व विचार विर्मश करना चाहिए और फिर उन्हें विश्वास दिलाए कि वह आप के लिए बेहतर विकल्प का चुनाव करेंगे जो आप की सुविधानुसाार प्रभाव दिखा सके।
साधारणतः मरीज सर्जरी के बाद अगले ही दिन से अपने घर जा सकता है परंतु केवल अधिक आधुनिक प्रक्रिया के केस को छोडक़र जिस में मरीज को तीन से चार दिनों तक अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत हो सकती है। इस के बाद 5 दिनों के अंदर मरीज अपनी रोजाना की क्रियाएं कर सकता है व 10 दिन बाद वह अपने कार्य पर फिर से वापस जा सकता है।