मुंबई में पारा लुढ़का, हवा में बढ़ा प्रदूषण
आतिशबाजी बढ़ा सकती है दमा की समस्या
मुंबई- नवंबर के दूसरे सप्ताह में ठंडी ने मुंबई शहर में अपनी दस्तक दे दी है. न्यूनतम तापमान लुढ़कने से हवा की गुणवत्ता मध्यम स्तर से गिरकर गंभीर स्तर तक पहुंच गई है। दमा रोग विशेषज्ञों के अनुसार इसके चलते लोगों में श्वसन संबंधी बीमारियों के बढ़ने की संभावना अधिक हो गयी है।
डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना की पृष्ठभूमि को देखते हुए दिवाली के मौसम में होने वाली आतिशबाजी के प्रदूषण से बचने की आवश्यकता है. सांस संबंधी रोगियों के साथ हाल ही में कोरोना से मुक्त हुए लोगों की अतिरिक्त देखभाल करने की आवश्यकता है।
मुंबई मौसम विभाग के अनुसार शहर का न्यूनतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है और सुबह की हवा भी सर्द हो रही है। शहर के कुछ हिस्सों में आकाश धुएं और फॉग से ढंका हुआ है। चूंकि गर्मियों में हवा गर्म और हल्की होती है जो प्रदूषण फैलाने वाले कणों को हवा के साथ अधिक ऊपर ले जाती है जिससे प्रदूषण का स्तर कम रहता है। लेकिन सर्दियों में ठीक इसके उलट होता है.
हवा में नमी कम हो जाती है और यह सूख जाती है इसलिए धुआं और धूल रात में तथा सुबह जमीन के पास हवा में तैरती रहती है। इससे सांस की समस्या हो सकती है। दिवाली की आतिशबाजी शुरू होने से पहले ही शहर में हवा की गुणवत्ता में गिरावट शुरू हो गई है। आंकड़ों के अनुसार शहर में हवा की गुणवत्ता शनिवार को मध्यम थी लेकिन सोमवार को गंभीर स्तर तक पहुंच गयी थी।
शहर के कुछ हिस्सों में 2.5 पीएम का स्तर बहुत अधिक पाया गया। मझगांव में यह 305 था जबकि चेंबूर में यह 297 और मालाड में 290 स्तर का था। आने वाले दिनों में ठंड के मौसम में तेजी होने की उम्मीद है, परिणामस्वरूप श्वसन संबंधी विकार होने की संभावना अधिक हो सकती है। अस्थमा या दमा सहित अन्य सांस की बीमारियों वाले लोगों को कोरोना के प्रकोप के दौरान विशेष देखभाल करने की आवश्यकता है।
स्वस्थ हुए लोगों को भी सर्दियों में सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि कोरोना संक्रमित रोगियों के फेफड़ों को प्रभावित करता है। संभव हो तो मार्निंग वॉक और व्यायाम के लिए सुबह बाहर न जाएं। यदि बाहर जाना ही है तो अच्छी गुणवत्ता वाले मास्क का उपयोग अवश्य करें।साथ ही नियमित रूप से ऑक्सीजन के स्तर की निगरानी की जानी चाहिए।