अल्पसंख्यकों में नाराजगी, राजनीति शुरू
मुंबई- विद्यार्थियों के मार्गदर्शन के लिए बनाए गए पोर्टल को एक महीने भी नहीं हुए थे कि वह विवादों में आ गया है. राज्य के 9वीं और 10वीं के छात्रों के मार्गदर्शन के लिए बनाए गए महा करियर पोर्टल से उर्दू भाषा गायब हो गयी है। महाराष्ट्र सरकार ने छात्रों की मदद के लिए इस पोर्टल को बनाया था लेकिन अब उर्दू भाषा के गायब होने से यह विवादों में आ गया है। राज्य के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में 22 सितंबर को इस पोर्टल की शुरुआत की गयी थी जिसमें 9 भाषाओं में जानकारी दी गई है। इसका उद्घाटन शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने किया था. लेकिन राज्य में दूसरे नंबर पर आने वाली भाषा, जिसमें मराठी के बाद सबसे ज्यादा लोग शिक्षा लेते हैं, वह उर्दू भाषा ना होने से अल्पसंख्यक समुदाय ने नाराजगी फ़ैल गयी है।
मराठी के बाद सबसे ज्यादा उर्दू के छात्र
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में मराठी भाषा के बाद सबसे ज्यादा विद्यार्थी शिक्षा उर्दू भाषा में शिक्षा ग्रहण करते हैं. इसके बावजूद इस भाषा को ही महा करियर पोर्टल से हटाना अल्पसंख्यक समाज को हजम नहीं हो रहा है। सरकार का यह निर्णय उसके लिए हैरान करने वाला है। गौरतलब हो कि महाराष्ट्र में 72 प्रतिशत मराठी, 7.30 प्रतिशत उर्दू, 6.87 प्रतिशत हिंदी, 2.72 प्रतिशत गुजराती, 1.57 प्रतिशत तेलगु और 1.59 प्रतिशत कन्नड़ भाषा में छात्र शिक्षा हासिल करते हैं। ऐसे में सरकार की इस व्यवस्था से उर्दू माध्यम के छात्र अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि अपनी भाषा में जानकारी हासिल करने में उन्हें और ज्यादा सहूलियत होती है. इस सुविधा से वे अपने पाठ्यक्रम और उससे जुड़ी अन्य जानकारियां हासिल कर सकते थे।
पोर्टल के इस कदम पर राजनीति शुरू
सरकार के महा करियर पोर्टल से उर्दू भाषा के हटाए जाने के बाद से ही अब इस पर राजनीति भी शुरू हो चुकी है। भाजपा के नेताओं का कहना है कि महाविकास अघाड़ी सरकार में शामिल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को मुस्लिम समाज के वोट मिलते हैं। इसके बावजूद उन्होंने इस विषय पर कोई ध्यान नहीं दिया है। सरकार यह दावा करती है कि वह सब के हितों की रक्षा करने के लिए है। फिर छात्रों के मार्गदर्शन के लिए बनाई गई इस महा करियर पोर्टल में से उर्दू भाषा को क्यों हटाया गया। सरकार उर्दू भाषा के छात्रों पर क्यों अन्याय कर रही है ? सरकार के इस कदम पर सरकार में शामिल दूसरे दल क्यों आवाज नहीं उठाते हैं ? इस मामले की शिकायत शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ से की गयी है लेकिन उन्होंने अभी तक इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है.