कोरोना के संकटकाल में मच्छरजनित बीमारियों को अनदेखा न करने के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए गैर सरकारी संगठन मलेरिया नो मोर इंडिया ने देश के २१ राज्यों में ‘बाइट मत लोग लाइट’ अभियान की शुरुआत की है। गैर सरकारी संगठन ने आज जारी प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी दी कि इस अभियान का लक्ष्य मच्छर से होने वाले रोगों के जोखिम के बारे में जागरुकता फैलाना है। इस अभियान का मुख्य संदेश है कि मच्छरों के काटने को गंभीरता से लें क्योंकि यह जानलेवा हो सकता है। चार महीनों का यह जागरूकता अभियान मानसून में शुरु किया गया है, जब मच्छरों का प्रजनन और संक्रमण चरम पर होता है ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने अप्रैल में यह अनुमान जारी किया था कि कोविड-१९ लॉकडाउन के कारण मलेरिया से संबंधित जरूरी कार्यक्रमों में विलंब होने और लोगों के सही समय पर मलेरिया का उपचार नहीं करा पाने की स्थिति में इस साल मलेरिया से मरने वालों की संख्या दोगुनी हो सकती है डब्ल्यूएचओ ने यह चेतावनी भी दी थी कि मलेरिया के मामले बढ़ने और उसके कारण होने वाली मौतों का बड़ा बोझ पहले ही कोविड-१९ से जूझ रही स्वास्थ्य प्रणालियों पर होगा।डब्ल्यूएचओ की इस चेतावनी के परिप्रेक्ष्य में ही इस अभियान की शुरुआत की गयी है। भारत ने साल २०३० तक मलेरिया को खत्म करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्य की दिशा में अच्छी प्रगति की है और साल २०१६ से २०१८ के बीच मलेरिया के मामलों में ५३ प्रतिशत की कमी आई है। मलेरिया और कोविड-१९ के लक्षण एक समान हैं, जैसे बुखार। मलेरिया तेजी से बढ़ता है और गंभीर रूप से बीमार कर सकता है और यदि उसका जल्दी पता न चले और समय पर उपचार न हो तो जानलेवा साबित हो सकता है। बुखार आने के २४ घंटे के भीतर जाँच करवाना और उपचार लेना जरूरी होता है।