मुंबई-वैश्विक महामारी कोरोना को नियंत्रण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मॉस्क की भविष्य में कमी हो सकती है. राज्य सरकार ने ग्राहकों से मॉस्क की कई गुना कीमतें वसूलने की शिकायत मिलने पर मास्क की कीमतों पर नियंत्रण करने के उद्देश्य से गुणवत्ता (क्वॉलिटी) के अनुसार इनकी दरें निर्धारित कर दी थी. सरकार ने एन-95 समेत अन्य प्रकार के मास्क की कीमतें तय की हैं। जबकि सरकार द्वारा निर्धारित दरें मास्क निर्माताओं को स्वीकार्य नहीं है।उल्लेखनीय है कि मुंबई मनपा ने एफएफएफपी-2 ब्रांड के 30 लाख मास्क 8.83 रुपये की दर पर बनाने के लिए निविदा निकाली थी। लेकिन मॉस्क निर्माताओं ने मनपा को कोई प्रतिसाद नहीं दिया है. उनका कहना है कि यह ऑर्डर करने का जोखिम वे नहीं उठा सकते हैं. राज्य सरकार को इनकी दरों पर पुनर्विचार करना चाहिए। गौरतलब हो कि कोरोना संक्रमण के बाद बाजार में मास्क की बिक्री बढ़ गई थी। इसलिए मास्क की कीमतें भी बहुत बढ़ गयी थी। कोरोना प्रकोप से पहले एन-95 मॉस्क 45 रूपये में बिकता था.
इसके बाद इसकी कीमत 45 से 175 रुपये तक हो गयी. यह वृद्धि 437.5 प्रतिशत की थी।पिछले हफ्ते राज्य सरकार ने मास्क की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए एन-95 मास्क को क्वालिटी के अनुसार 19 से 45 रुपये तय किया है। जबकि डबल और ट्रिपल लेयर के मास्क के लिए सिर्फ तीन से चार रुपये का रेट निर्धारित किया है. राज्य सरकार ने शासन द्वारा भुगतान की जाने वाली दरों में 70 प्रतिशत की कमी कर इसे सरकारी और निजी अस्पतालों में आपूर्ति करना बंधनकारी बना दिया है. मॉस्क निर्माताओं का कहना है कि सरकार द्वारा निर्धारित दरों से किसी भी तरह से लाभ नहीं होता है। अतः राज्य सरकार को अपनी दरों पर पुनर्विचार करना चाहिए। क्योंकि इससे केवल नुकसान ही नुकसान है। मुंबई मनपा ने 8.83 रूपये की दर से 30 लाख एफएफएफपी 2 प्रकार के मॉस्क के निर्माण के लिए एक निविदा जारी की थी लेकिन मॉस्क निर्माताओं ने निविदा पर कोई रूचि नहीं दिखाई। चूंकि मास्क उत्पादन का लागत खर्च ही 10.50 से 11.50 रुपये आता है तो इस रेट में कौन सप्लाई करेगा।