महाराष्ट्र का सियासी संकट शिवसेना के बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस के डिप्टी सीएम बनने के बाद भी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। शिवसेना ने बागी विधायकों के खिलाफ आज फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया लेकिन वहां उसे झटका लगा है।
उद्धव खेमे ने कोर्ट से मांग करते हुए कहा कि 16 बागी विधायकों को सस्पेंड किया जाए, जिनके खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही शुरू की गई है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। इससे शिंदे गुट को एक बड़ी राहत मिली है।
कोर्ट का कहना है कि 11 जुलाई को ही अन्य केसों के साथ ही इस मसले पर सुनवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मसले पर तत्काल सुनवाई नहीं हो सकती है। 11 जुलाई को बहुमत परीक्षण को चुनौती देने वाली अर्जी समेत सभी मामलों पर एक साथ ही सुनवाई की जाएगी।
दरअसल विधायक और शिवसेना के चीफ व्हिप सुनील प्रभु की ओर से दायर अर्जी में कहा गया था कि एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायकों पर अयोग्यता का नोटिस है। ऐसे में उस पर फैसला होने तक उनकी विधानसभा में एंट्री पर रोक लगनी चाहिए।
यही नहीं उनका कहना था कि अयोग्यता नोटिस पर फैसले तक इन विधायकों को निलंबित कर दिया जाए। सुनील प्रभु की ओर से सीनियर वकील कपिल सिब्बल पेश हुए थे, लेकिन अदालत ने कहा कि इस पर तत्काल सुनवाई नहीं की जा सकती।
इस बीच महाराष्ट्र विधानसभा का सत्र भी एक दिन के लिए टल गया है। अब 3 और 4 जुलाई को विधानसभा का स्पेशल सेशन होगा। पहले दिन विधानसभा के स्पीकर का चुनाव कराया जाएगा और फिर अगले दिन यानी 4 जुलाई को शिंदे की सरकार बहुमत साबित करेगी। कोर्ट की ओर से 11 जुलाई को ही सुनवाई किए जाने से साफ है कि अब एकनाथ शिंदे सरकार आसानी से बहुमत साबित कर सकेगी।