बड़ी संख्या में पड़े ‘अनवैलिड’ वोट
मुंबई। राज्य में स्नातक एवं शिक्षक वर्ग की विधान परिषद सदस्य के लिए हुए मतदान में महाविकास आघाड़ी ने चार सीटें हासिल की हैं। पक्ष विपक्ष हार जीत पर भले ही टिप्पणी करें लेकिन उच्च शिक्षित वर्गों के लिए हुए इस चुनाव में एक विशेष मुद्दा सामने आया है. अपना नेता चुनने वाले पढ़े लिखे लोगों ने अनवैलिड (अमान्य) वोट देकर अनपढ़ों वाली गलती की है।
उच्च शिक्षित मतदाताओं के इस चुनाव में बड़ी संख्या में अमान्य वोट पड़े हैं। इसलिए राजनीतिक हलकों में उच्च शिक्षित मतदाताओं द्वारा की गई गलतियों पर चर्चा की जा रही है।मराठवाड़ा स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव में कुल मतदान 2 लाख 41 हजार 908 था। जिसमें से 23 हजार 92 मत अवैध घोषित किए गए। विजयी उम्मीदवार सतीश चव्हाण और प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के उम्मीदवार शिरीष बोरलकर के बाद यह तीसरी सबसे बड़ी संख्या है।
वोटों के अवैध होने का कारण ?
मतपत्र पर कई उम्मीदवार होते हैं। जिन्हे वरीयता संख्या के रूप में रिकॉर्ड कर सकते हैं। उम्मीदवार के नाम के सामने कॉलम में एक एकल वरीयता संख्या दर्ज की जाती है। यह नियम है कि वरीयता संख्या किसी अन्य उम्मीदवार के सामने पंजीकृत नहीं होनी चाहिए। वरीयता संख्या 1, 2, 3 में ही दर्ज की जानी चाहिए। एक नियम यह भी है कि एक, दो, तीन, आदि को ऐसे शब्दों में दर्ज नहीं किया जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि 23,000 उच्च शिक्षित स्नातक मतदाताओं ने मतदान करते समय ये गलतियां की। कुछ ने रोमन अंकों में वरीयता संख्या दी। कुछ ठीक से एक नंबर भी नहीं खींच सके। कुछ ने कॉलम के बाहर नंबर लगाए। कुछ ने अन्य गलतियां कीं। इसलिए उनका वोट खारिज कर दिया गया था।