नारद स्टिंग मामले में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के चारों नेताओं को सोमवार शाम को राहत मिली है. इस मामले में कुछ नेताओं द्वारा कथित तौर पर धन लिए जाने के मामले का खुलासा हुआ था।
नारद स्टिंग ऑपरेशन (Narada Sting Opretion) मामले में गिरफ्तार मंत्री सुब्रत मुखर्जी (Subrata Mukherjee) , मंत्री फिरहाद हकीम (Firhad Hakim) , पूर्व मे मेयर शोभन चटर्जी (Sovan Chatterjee) और एमएलए मदन मित्रा (Madan Mitra) की सीबीआई की विशेष कोर्ट के न्यायाधीश अनुपम मुखोपाध्याय की अदालत में लगभग डेढ़ घंटे वर्चुअली सुनवाई चली.
सीबीआई की अदालत ने ममता बनर्जी को दो मंत्री सहित चारों नेताओं की हिरासत की अर्जी खारिज कर दी और जमानत देने का आदेश दिया है. 50 हजार रुपये के निजी बांड पर जमानत की मंजूरी दी गई.
दूसरी ओर गिरफ्तारी के खिलाफ ममता बनर्जी ने सीबीआई की निजाम पैलेस मुख्यालय में लगभग छह घंटे तक रहीं और गिरफ्तारी का विरोध जताया. उन्होंने सीबीआई को उन्हें भी गिरफ्तार करने की चुनौती दी थी. ममता बनर्जी सुबह 10.48 बजे सीबीआई मुख्यालय में पहुंचीं थी और लगभग 4.42 बजे शाम को बाहर निकलीं. ममता की मौजूदगी की वजह से सैकड़ों की संख्या में तृणमूल कार्यकर्ताओं ने सीबीआई दफ्तर को घेर लिया था, जिसकी वजह से गिरफ्तार नेताओं को सशरीर बैंकशाल अदालत ले जाना संभव नहीं हो पाया. इसके बाद जांच एजेंसी के वकील ने वर्चुअल पेशी की अर्जी लगाई जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है.
क्या है पूरा मामला
नारद स्टिंग मामले में कुछ नेताओं द्वारा कथित तौर पर धन लिए जाने के मामले का खुलासा हुआ था. नारद टीवी न्यूज चैनल के मैथ्यू सैमुअल ने 2014 में कथित स्टिंग ऑपरेशन किया था, जिसमें तृणमूल कांगेस के मंत्री, सांसद और विधायक लाभ के बदले में कंपनी के प्रतिनिधियों से कथित तौर पर धन लेते नजर आए थे. यह टेप पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सार्वजनिक हुआ था. कलकत्ता हाई कोर्ट ने स्टिंग ऑपरेशन के संबंध में मार्च 2017 में सीबीआई जांच का आदेश दिया था.