गुजरात कांग्रेस के पूर्व नेता हार्दिक पटेल 2 जून को भारतीय जनता पार्टी का दामन थामेंगे. उन्होंने बीते दिनों ही कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. वह गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष थे, लेकिन उपेक्षा के चलते नाराज चल रहे थे.
पाटीदार नेता ने कांग्रेस से इस्तीफा देते हुए ट्विटर पर कांग्रेस पर जोरदार हमला किया. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गये त्यागपत्र को ट्विटर पर पोस्ट किया और पार्टी पर कई तरह के आरोप लगाये. इसके साथ ही उन्होंने मोदी सरकार के कार्यों की तारीफ की थी. इसके बाद से ही उनके बीजेपी में शामिल होने के कयास लगाये जा रहे थे.
हार्दिक पटेल ने 2 जून को भाजपा में शामिल होने की पुष्टि की है. इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल मौजूद होंगे और उन्हें भाजपा की सदस्यता दिलाएंगे. हार्दिक पटेल के भाजपा में शामिल होने के आयोजन को भाजपा ग्रैंड इवेंट में तब्दील करना चाहती है.
हार्दिक का भाजपा में शामिल होना पाटीदार राजनीति के लिए अहम माना जा रहा है. गुजरात में 2015 में हुए पाटीदार आरक्षण आंदोलन का हार्दिक पटेल प्रमुख चेहरा थे. कांग्रेस में उनकी एंट्री के बाद पार्टी मान रही थी कि उसे पाटीदार समाज का समर्थन मिलेगा, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन के बाद भी वह सत्ता से दूर रह गई थी.
गुजरात कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष थे हार्दिक पटेल
बता दें कि जुलाई 2020 में कांग्रेस ने गुजरात में पाटीदार आरक्षण आंदोलन से चर्चित हुए युवा नेता हार्दिक पटेल को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था. पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हार्दिक पटेल की तत्काल प्रभाव से नियुक्ति को स्वीकृति प्रदान की.
बीते दिनों कांग्रेस से दिया था इस्तीफा
बता दें कि कुछ दिन पूर्व ही हार्दिक ने कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. पत्र में उन्होंने पार्टी की राज्य इकाई के साथ-साथ शीर्ष नेतृत्व के रवैये पर भी सवाल उठाया था. उन्होंने मौजूदा कांग्रेस नेतृृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा था, जब 75 साल के कपिल सिब्बल साहब ने कांग्रेस छोड़ी, 50 साल के सुनील जाखड़ ने पार्टी छोड़ी, तब तो चिंता होनी चाहिए कि क्या गलती है आपकी. इन नेताओं ने 40-50 साल पार्टी को दिया है.
अपने त्यागपत्र में हार्दिक ने लिखा था कि कांग्रेस पार्टी सिर्फ विरोध की राजनीति तक सीमित रह गई है जबकि देश के लोगों को विरोध नहीं बल्कि ऐसा विकल्प चाहिए जो उनके भविष्य के बारे में सोचता हो और हमारे देश को आगे ले जाने की क्षमता रखता हो. उन्होंने अपने त्यागपत्र में आगे लिखा था कि अयोध्या में राम मंदिर हो, सीएए-एनआरसी का मुद्दा हो, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाना हो या जीएसटी लागू करने जैसे फैसले हों, देश लंबे समय से इनका समाधान चाहता था. लेकिन, कांग्रेस इसमें केवल बाधा बनने का काम करती रही. कांग्रेस का रुख केवल केंद्र का विरोध करने तक ही सीमित रहा.
पटेल ने 18 मई को कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. राज्य में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उनका यह कदम कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.