मुंबई। प्रदेश में मुंबई मनपा, पुणे महानगरपालिका, अन्य मनपाओं समेत स्थानीय निकायों के चुनावों के आगे खिसकने की संभावना है. राज्य में जब तक ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण फिर से लागू नहीं हो जाता तब तक ये चुनाव नहीं करवाए जाएं. यह मांग मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई सर्वदलीय बैठक में रखी गई. इस मांग को लेकर सभी पार्टियों में सहमति पाई गई. तय कार्यक्रमों के तहत ये प्रमुख मनपाओं के चुनाव फरवरी 2022 में होने हैं. कानूनी सलाह लेकर इस मामले में किस तरह से रास्ता निकाला जाए, इस पर बैठक में सभी पार्टियों ने चर्चा की. अब अगले शुक्रवार को फिर बैठक होने वाली है. तब सर्व सम्मति से निर्णय लिया जाएगा. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस संबंध में विधि व न्याय विभाग के सचिवों को राज्य के एडवोकेट जनरल से चर्चा कर एक रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
ओबीसी आरक्षण पुनर्बहाल करने के लिए अगले शुक्रवार होगी सर्वदलीय बैठक
सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य में ओबीसी के लिए राजनीतिक आरक्षण रद्द कर दिया है. इस बीच चुनाव करवाने के लिए चुनाव आयोग ने प्रभाग तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसी संबंध में मुख्यमंत्री ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. बैठक में सभी पार्टियों के नेता इस बात पर एकमत थे कि ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण पुर्नबहाल होना ही चाहिए. ऐसे कई जिले हैं जहां अनुसूचित जाति और जनजाति को आरक्षण देने के बाद पिछड़ों को आरक्षण देने के बाद अधिकतम आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा पार कर जाती है. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पिछड़ों को 27 प्रतिशत से अधिक आरक्षण देने पर भी रोक है और कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक ना हो, इस शर्त को मानने का भी स्पष्ट आदेश है.
फडणवीस का आरोप, ठाकरे सरकार को ओबीसी आरक्षण देना नहीं, इसलिए कर रही बहाने
इस पर देवेंद्र फडणवीस का मत है कि सर्वोच्च न्यायालय ने तीन शर्तें रखी हैं, जिन्हें पूरा कर के पिछड़ों का राजनीतिक आरक्षण पुनर्बहाल किया जा सकता है. राज्य का पिछड़ा आयोग ओबीसी से संबंधित आंकड़े सुप्रीम कोर्ट में पेश कर सकता है. लेकिन सत्ताधारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की शर्तें पूरी करने के लिए केंद्र से इम्पीरिकल डेटा मिलना जरूरी है. सह्याद्री गेस्ट हाउस में हुई इस बैठक में मुख्यमंत्री के साथ उपमुख्यमंत्री अजित पवार, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस, विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष प्रवीण दरेकर, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले, बालासाहब थोरात, अशोक चव्हाण, छगन भुजबल जैसे कैबिनेट मंत्री और अन्य नेता मौजूद थे.