महाराष्ट्र में चल रहे सियासी संग्राम सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। जिस तरह से विधानसभा के डिप्टी स्पीकर ने शिवसेना के 16 बागी विधायकों को अयोग्यता को लेकर नोटिस जारी किया, उसके बाद बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
इस बीच बड़ी खबर यह सामने आई है कि बागी विधायकों ने अपनी याचिका में कहा है कि हमने महाविकास अघाड़ी की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बात का जिक्र 38 बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में किया है। ऐसे में दावा किया गया है कि महाविकास अघाड़ी सरकार अल्पमत में है। हालांकि यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सुप्रीम कोर्ट इसपर कुछ टिप्पणी करेगा।
बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की है उसमे कहा गया है कि हमने महाविकास अघाड़ी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। विधायकों का कहना है कि हम महाविकास अघाड़ी को अपना समर्थन नहीं दे रहे हैं, उद्धव सरकार मनमाने फैसले कर रहा है। हालांकि इस पूरे मामले पर हर किसी की सुप्रीम कोर्ट पर नजर है।
इसमें ये भी लिखा गया है कि शिवसेना के 38 विधायकों ने अपना समर्थन एमवीए सरकार से वापस ले लिया है लेकिन ये सरकार अपने पदों और पावर का मिसयूज कर रही है। डिप्टी स्पीकर के पद को को एमवीए सरकार द्वारा गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। डिप्टी स्पीकर अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं।
डिप्टी स्पीकर ने 27 जून तक विधायकों को नोटिस जारी करके जवाब मांगा था। यही वजह है कि विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके सुप्रीम कोर्ट से अपील करके कहा था कि जबतक मामले की सुनवाई होती है तबतक डिप्टी स्पीकर कोई फैसला ना लें।
शिवसेना के 8 मंत्री बागी गुट में पहुंचे
महाराष्ट्र का सियासी संकट जब शुरू हुआ था, तब किसी ने ये नहीं सोचा था कि उद्धव ठाकरे, शिवसेना और उनकी सरकार की यह हालत हो जाएगी। अब जबकि शिवसेना के 8 मंत्री बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे के कैंप में पहुंच चुके हैं। उद्धव ठाकरे अकेले पड़ गए हैं। अब सिर्फ तीन ही मंत्री उद्धव की शिवसेना में बचे हुए हैं। इनमें उनके बेटे आदित्य ठाकरे ही एकमात्र ऐसे मंत्री बचे हैं, जो विधायक हैं। बाकी बचे मंत्री विधान परिषद में चुने हुए हैं। इस तरह इस सियासी लड़ाई में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अकेले पड़ते नजर आ रहे हैं।