केंद्र सरकार के गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के फैसले को कांग्रेस ने किसान विरोधी बताया है। पूर्व वित्तमंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि निर्यात से किसानों को अच्छी कमाई हो सकती थी, परंतु सरकार ऐसा नहीं चाहती। इसी वजह से उसने यह किसान विरोधी कदम उठाया है।
चिंतन शिविर के दूसरे दिन पत्रकारों से चर्चा के दौरान चिदंबरम ने कहा कि मुझे लगता है कि केंद्र सरकार पर्याप्त मात्रा में गेहूं खरीद नहीं कर सकी। इसी वजह से उसने निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है। गेहूं का उत्पादन कम नहीं हुआ है, बल्कि बढ़ा ही है। अगर खरीद हुई होती तो गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की आर्थिक पॉलिसी का नतीजा है कि गरीबी और बेरोजगारी बढ़ रही है। यह सरकार गरीब, किसान और युवाओं की विरोधी सरकार है। देश की इकोनॉमिक पॉलिसी को पूरी तरह से रिसेट करने की जरूरत है।
कांग्रेस चिंतन शिविर के दूसरे दिन पी चिदंबरम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था चिंतनीय है। पिछले आठ साल में विकास की धीमी दर वर्तमान सरकार की पहचान रही है। राज्यों की वित्तीय स्थिति बेहद खराब है। समय आ गया है कि केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संबंधों की व्यापक समीक्षा की जाए।
2017 में मोदी सरकार के गलत तरीके से लागू किए गए जीएसटी का परिणाम सबके सामने है। लोगों को मंहगाई की मार झेलनी पड़ी है। लोगों की नौकरियां छीन गई। महंगाई और उच्चतम ब्याज दर के कारण रुपया कमजोर हुआ है। सरकार पूरी तरह से फेल है। हम उनकी असफलताओं को जनता के सामने रखेंगे।
चिदंबरम ने कहा कि महंगाई की वजह यूक्रेन व रूस के बीच युद्ध को बताया जा रहा है। इसमें हमारा मानना है कि युद्ध अचानक से चालू नहीं हुआ है। कई दिनों से दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति थी, तभी हमें महंगाई को नियंत्रण करने की तैयारी करनी थी जो नहीं की गई।
चिदंबरम से जब सवाल पूछा गया कि आपकी सरकार के समय भी डॉलर के मुकाबले रुपया गिरा था और पीएम मोदी ने उसका विरोध किया था, इसके जवाब में चिदंबरम ने कहा कि उस वक्त रुपया इतना नहीं गिरा था जो हालत अब हो रहे हैं। उस वक्त भाजपा नेताओं ने गलत बयान दिए थे। इसमें उन्होंने सुषमा स्वराज का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि रुपये की गिरने की वजह दो ही हो सकती है, हमारे यहां प्रॉडक्शन कम हो रहा है और निर्यात घट रहा है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के 2019 के मेनिफेस्टो में कहा था हम सरकार में आए तो केंद्र सरकार की 30 लाख खाली पदों को भरेंगे। आज 2022 चल रहा है, केंद्र में मोदी सरकार ने इन पदों को भरा नहीं है बल्कि और पद खाली हो गए हैं।
पी चिदंबरम ने कहा कि 1991 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने उदारीकरण के एक नए युग की शुरुआत की थी। देश ने उस समय धन सृजन, नए व्यवसायों और नए उद्यमियों, लाखों नौकरियों, निर्यात और 27 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से निकालने जैसी कई उपलब्धियां हासिल की थी। 30 साल के बाद मुझे लगता है कि वैश्विक और घरेलू विकास को ध्यान में रखते हुए आर्थिक नीतियों को पूरी तरीके से बदलने की जरूरत है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने आगे कहा कि मुझे विश्वास है कि तीन दिनों में हमारे विचार-विमर्श और आने वाले दिनों में सीडब्ल्यूसी द्वारा लिए जाने वाले निर्णय आर्थिक नीतियों पर राष्ट्रव्यापी बहस में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।