मुंबई:विदर्भ, मराठवाडा और पिछड़े जिलों के उद्योगों को दी जा सब्सिडी की दूसरी किस्त ऊर्जा मंत्री नितिन राउत के ऐन जन्मदिन से पहले जारी कर दी गई। इससे पहले तीन महीने के लिए इसलिए सब्सिडी पर रोक लगा दी गई थी कि इसमें घोटाला है। सब्सिडी का फायदा सभी उद्योगों को देने के लिए सात सदस्यीय समिति गठित की गई जिसकी रिपोर्ट इस महीने की 15 तारीख तक आएगी, किंतु रिपोर्ट आने से पहले ही ऊर्जा मंत्री ने अपने जन्मदिन का तोहफा अपने कुछ चहेते उद्योगपतियों को मनमानी तरह से करोड़ों रुपये की सब्सिडी दे दी।
महाराष्ट्र का बिजली विभाग बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा है। बिजली बिलों का बकाया 73,000 करोड़ रुपये को पार कर गया है, जिसे महावितरण वसूल नहीं पा रहा है। इसमें सबसे बड़े बकाएदार किसान है। उनपर करीब 49,000 करोड़ का बकाया है। किसानों से बकाया बिल वसूलने के लिए तरह-तरह की योजनाएं घोषित की है, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ। इस भारी भरकम बकाया बिल के लिए ऊर्जा मंत्री नितिन राउत जहां पिछली फडणवीस सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं वहीं, पूर्व ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले का कहना है कि ऊर्जा मंत्री सरासर झूठ बोल रहे हैं। उनका पूरा विभाग सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार करने में लगा है। हमारी सरकार जब राज्य में थी तब वसूली ठीक-ठाक थी। इतनी बड़ी रकम बकाया नहीं थी। ऊर्जा विभाग की गलत नीतियों के कारण आज राज्य का उर्जा विभाग टूट के कगार पर पहुंच गया है।
15 अक्टूबर तक आएंगी समिति की रिपोर्ट
उद्योगों के बिजली सब्सिडी घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद ऊर्जा मंत्री राउत ने तत्काल सब्सिडी रोक दी और खुद सात सदस्यीय विशेषज्ञों की समिति गठित की। तय किया गया कि, समिति की रिपोर्ट आने के बाद सुधार किया जाएगा। कोशिश होगी कि बिजली सब्सिडी का लाभ ज्यादा से ज्यादा उद्योगों को मिले। लेकिन समिति की रिपोर्ट आने से पहले फिर से सब्सिडी शुरू कर दी। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि, समिति की 7 से 8 बैठकें हो चुकी है। 15 अक्टूबर तक रिपोर्ट आएगी। रिपोर्ट को मंत्रिमंडल के सामने रखा जाएगा।
बिजली विभाग की बदहाली के लिए सरकार जिम्मेदार
करीब 6,000 करोड़ रुपये के उद्योग बिजली सब्सिडी घोटाले को सामने लाने वाले अडो विनोद सिंह ने राज्य के ऊर्जा विभाग पर आरोप लगाया कि, महाराष्ट्र का उर्जा विभाग ही बदहाली के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है। इस विभाग में इतने घोटाले है जिसे रोककर बिजली विभाग कम से कम फायदे में नहीं तो ”नो प्रॉफिट-नो लॉस” में तो आ ही सकता है। चंद उद्योगों के फायदे के लिए पिछले पांच साल से गलत तरीके से सब्सिडी दे रहा है जिसे रोकना चाहिए। अब हालत खराब हो गया है। ऊर्जा विभाग के पास कोयला खरीदने के लिए भी पैसा नहीं है, बिजली कहां से उत्पादन करेगा। इधर, फिर से सब्सिडी शुरू करने को लेकर वेस्टर्न महाराष्ट्र स्टील मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, उर्जा मंत्री सहित विभाग के सचिवों को पत्र लिखकर नाराजगी व्यक्त की। इस पूरे मामले को लेकर अडो विनोद सिंह ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।