मुंबई: तमिलनाडु (Tamil Nadu) के शिक्षामंत्री के पोनमुडी (K Ponmudy) ने हिंदी भाषा का अपमान करते हुए कहा कि हिंदी (Hindi Language) बोलने वाले पानीपुरी बेचते हैं. यह उनकी भाषा है. उनके इस बयान से देशभर के लोगों में गुस्सा है. इस विवाद में अब शिवसेना (Shivsena) नेता संजय राउत (Sanjay Raut) भी कूद पड़े हैं.
इस मुद्दे पर राउत ने केंद्रिय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मांग की है कि देश में अब एक देश, एक संविधान, एक भाषा का नियम लागू किया जाए. पोनमुडी पर निशाना साधते हुए राउत ने कहा कि हिंदी देश में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है. इसलिए सभी को हिंदी का आदर और सम्मान करना चाहिए.
तमिलनाडु के मंत्री की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर राउत ने कहा कि उनकी पार्टी ने हमेशा हिंदी का सम्मान किया है. शिव सेना नेता ने कहा, ‘‘मुझे सदन में जब भी मौका मिलता है, मैं हिंदी में बोलता हूं, क्योंकि देश को सुनना चाहिए कि मैं क्या कहना चाहता हूं, यह राष्ट्र की भाषा है. हिंदी इकलौती भाषा है, जिसकी स्वीकार्यता है और पूरे देश में इसे बोला जाता है.”
राउत ने यह भी कहा कि हिंदी फिल्म उद्योग देश-दुनिया में गहरा प्रभाव रखता है. इसलिए किसी भी भाषा का अपमान नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को यह चुनौती स्वीकार करनी चाहिए कि सभी राज्यों में एक भाषा हो. एक देश, एक संविधान, एक निशान और एक भाषा होनी चाहिए.”
राउत ने संवाददाताओं से बातचीत में यह टिप्पणी की. उनकी यह टिप्पणी तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री के पोनमुडी से जुड़े एक सवाल के जवाब में आई है, जिन्होंने एक दिन पहले हिंदी को कथित तौर पर थोपने की किसी भी कोशिश की निंदा की थी और उन दावों पर सवाल उठाए थे कि इस भाषा को सीखने से रोजगार मिलेगा.
हिंदी सीखने वालों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध होने का दावा करने वालों पर निशाना साधते हुए पोनमुडी ने पूछा था कि अभी कोयंबटूर में ‘पानी पूरी’ कौन लोग बेच रहे हैं. उनका इशारा स्पष्ट रूप से इस कार्य से जुड़े हिंदी भाषी विक्रेताओं की ओर था.
पोनमुडी ने यह विवादित बयान कोयंबटूर की भारथिअर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में दिया. उन्होंने कहा, हिंदी केवल एक वैकल्पिक भाषा होनी चाहिए, अनिवार्य नहीं. उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने का वादा किया, लेकिन राज्य सरकार दो भाषाओं के फॉर्मूले की अपनी नीति को जारी रखेगी.
उन्होंने तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि की मौजूदगी में यह सवाल उठाया कि हिंदी क्यों सीखनी चाहिए, जबकि अंग्रेजी जैसी अंतरराष्ट्रीय भाषा पहले से ही राज्य में सिखाई जा रही है. तमिल बोलने वाले छात्र किसी भी भाषा को सीखने के इच्छुक हैं, लेकिन हिंदी उनके लिए वैकल्पिक होनी चाहिए न कि अनिवार्य.
यह पहला मौका नहीं है, जब पोनमुडी ने हिंदी का सार्वजनिक तौर पर अपमान किया है. इसके पहले भी उन्होंने कहा था कि भारत में केवल एक भाषा बोलना स्वीकार नहीं किया जा सकता. उनका यह बयान तब आया था, जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हिंदी को अंग्रेजी का ऑप्शन बताने पर गैर हिंदी भाषी राज्यों में विवाद हुआ. तब भी उन्होंने दूसरों से बात करने के लिए अंग्रेजी और अपने राज्य के लोगों से बात करने के लिए लोकल भाषा जानने की बात कही थी.