शिवसेना की मुंबई में 227 और मुंबई महानगर क्षेत्र में करीब 500 शाखाएं हैं। इसमें एकनाथ शिंदे का गढ़ ठाणे भी शामिल है। हालांकि, ज्यादातर शाखाएं शाखा प्रमुख, स्थानीय नेता और ट्रस्ट द्वारा संचालित होती हैं।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से न केवल सत्ता ली, बल्कि उनके पिता बालासाहेब ठाकरे की पार्टी शिवसेना और उसका चुनाव चिह्न भी छीन लिया। चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद माना जा रहा है कि एकनाथ शिंदे ठाकरे परिवार से दादर स्थित शिवसेना भवन भी छीन लेंगे, लेकिन शिंदे ने शनिवार को रत्नागिरी के दापोली में स्थिति साफ करते हुए कहा है कि वह ऐसा नहीं करने जा रहे हैं। भले ही लोग इसे एकनाथ शिंदे की दरियादली मान रहे हों, लेकिन असल में अब वह ठाकरे परिवार की सबसे बड़ी ताकत पर हमला करने जा रहे हैं, जिससे उद्धव ठाकरे की राजनीति ही पूरी तरह से खत्म हो जाए और राजनीति में यह परिवार दोबारा न पनप सके।
शिवसेना की शाखाओं को पार्टी का आधार और रीढ़ माना जाता है। जब तक शाखाएं हैं, ठाकरे परिवार महाराष्ट्र की राजनीति में कभी भी वापसी कर सकती है। ऐसे में पर्यवेक्षकों का मानना है कि शिंदे गुट की नजर अब इसी पर है। वह धीरे-धीरे, चरणबद्ध तरीके से शाखाओं पर कब्जा कर सकती है। बीते शुक्रवार को रत्नागिरी के दापोली में भी स्थानीय शाखा पर नियंत्रण को लेकर दोनों गुटों के बीच झड़प हुई थी। उधर, उद्धव गुट के नेताओं का कहना है कि शाखा नेटवर्क उनके साथ है और वह कहीं नहीं जाएगा। बता दें, शिवसेना की मुंबई में 227 और मुंबई महानगर क्षेत्र में करीब 500 शाखाएं हैं। इसमें एकनाथ शिंदे का गढ़ ठाणे भी शामिल है। हालांकि, ज्यादातर शाखाएं शाखा प्रमुख, स्थानीय नेता और ट्रस्ट द्वारा संचालित होती हैं। किसी भी शाखा का संचालन सीधे तौर पर शिवसेना के द्वारा नहीं किया जाता है। शिंदे गुट का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि शाखा प्रमुख वास्तविक शिवसेना के साथ आएंगे। हालांकि, दूसरी तरफ संजय राउत ने दावा किया है कि शिवसेना भवन और हमारी शाखा को शिंदे गुट नहीं छीन सकता है। शिव सैनिक पहले की तरह वहां बैठेंगे और शाखा चलाएंगे।