महाराष्ट्र में सियासी उठापटक के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पहली बार चुप्पी तोड़ी। महाराष्ट्र में इस्तीफा देने के बाद पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने आज पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने नई सरकार के गठन पर कई बड़े बयान दिए।
उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे शिवेसना के मुख्यमंत्री नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से प्रदेश में सत्ता का खेल खेला गया है, उससे लोकतंत्र का मजाक बना है। उन्होंने कहा कि मैं तो कहूंगा कि मतदाताओं को अधिकार होना चाहिए कि वह जरूरत पड़ने पर उन लोगों को वापस बुला सके, जिन्हें वोट दिया है।
उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘जो कुछ भी कल हुआ, उसके बारे में मैंने अमित शाह से पहले ही कह दिया था। हम भाजपा-शिवसेना के गठबंधन में ढाई साल के लिए शिवसेना का मुख्यमंत्री चाहते थे। अगर वे पहले ही इसके लिए तैयार हो जाते तो यहां महा विकास अघाड़ी की जरूरत ही नहीं होती।’
जिस तरह से सरकार बनी है और एक तथाकथित शिवसेना कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री बनाया गया है, मैंने अमित शाह से यही कहा था। ये सम्मानपूर्वक किया जा सकता था। शिवसेना आधिकारिक तौर पर (उस समय) आपके साथ थी। यह मुख्यमंत्री (एकनाथ शिंदे) शिवसेना के नहीं हैं।
पूर्व सीएम ठाकरे ने कहा कि नई सरकार को मेरी शुभकामनाएं, लेकिन शिंदे शिवसेना के सीएम नहीं है। सत्ता के लिए महाराष्ट्र में रातों रात खेल खेला गया, लेकिन इसके बावजूद मेरे दिल से महाराष्ट्र को कोई निकाल नहीं सकता है।
उन्होंने कहा कि भले ही सत्ता के लिए कुछ लोगों ने बड़ा खेल कर दिया, लेकिन मेरे दिल से वे लोग महाराष्ट्र को नहीं निकाल सकते। यहां तो लोकतंत्र का मजाक उड़ाया जा रहा है। सत्ता में आते ही इन लोगों ने आरे के फैसले को पलट दिया गया। उन्होंने कहा कि मुंबई के पर्यावरण से छेड़छाड़ न की जाए। मैं इन लोगों से अपील करता हूं कि महाराष्ट्र को बर्बाद न करें। मुझे सीएम की कुर्सी जाने का दुख नहीं है, लेकिन मेरी पीठ में खंजर भोंका गया है। यदि भाजपा हमारे साथ आती तो कम से कम ढाई साल तक तो उनका मुख्यमंत्री रहता, लेकिन अब उन्हें क्या मिल गया है।
इस तरह उद्धव ठाकरे ने इशारों में ही देवेंद्र फडणवीस के डिप्टी सीएम बनने पर तंज कस दिया। दरअसल 2019 में भाजपा और शिवसेना के बीच इसी बात पर मतभेद हो गए थे। तब शिवसेना का कहना था कि भाजपा ने उनसे ढाई-ढाई साल के सीएम का वादा किया था, जिस पर उसे अमल करना चाहिए। वहीं देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे ने ऐसे किसी भी वादे से इनकार किया था। अब इसी को लेकर शायद उद्धव ठाकरे ने तंज कसा है कि एकनाथ शिंदे को सीएम बनाने से भाजपा को क्या मिल गया।
यही नहीं एक बार फिर से मराठी कार्ड खेलते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘मैं प्रदेश की जनता और शिवसैनिकों से कहना चाहूंगा कि उनसे कभी गद्दारी नहीं करूंगा। आप लोगों से जो प्यार मिला है, उसे भुला नहीं सकता। सत्ता तो आती और जाती रहती है। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे और बागी विधायकों से हमने बात की, लेकिन वे माने नहीं। साफ है कि यह घटना रातों रात की नहीं थी बल्कि लंबे वक्त से यह खेल चल रहा था।’