केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शुक्रवार को लखनऊ में थे। भाजपा को उम्मीद है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में शाह का जादू वैसे ही चले जैसे पिछले विधानसभा चुनाव में चला था।हालांकि, इन सबके बीच एक बार फिर उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य चर्चा में हैं। उनके समर्थक चाहते हैं कि जैसे पिछली बार चुनाव की कमान उनके पास थी, इस बार भी ऐसा ही होना चाहिए। प्रदेश सरकार के एक ओबीसी कबीना मंत्री ने कहा भी है कि सच पूछिए तो 2017 की तरह इस बार भी चुनाव में कमान मौर्य के पास होनी चाहिए थी।
इन सब के बीच जिस तरह अमित शाह ने योगी आदित्यनाथ को ही भाजपा की ओर से अगले मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया है, उससे पार्टी में भीतरी घमासान बढ़ सकता है। माना जा रहा है योगी को 2022 में केशव मौर्य की महत्वाकांक्षा का सामना करना पड़ सकता है। प्रदेश सरकार के ओबीसी मंत्रियों और विधायकों में केशव ने अच्छी पैठ बना रखी है। ओबीसी को छोड़ दें तो भी अन्य जातियों के नेताओं और मंत्रियों में केशव प्रसाद मौर्य का पलड़ा भारी है।
अखिलेश कहते हैं, डबल इंजन आपस में टकरा रहे हैं
योगी और केशव के बीच चल रही इस महत्वाकांक्षा की जंग को लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ताना भी मारते हैं। अखिलेश कहते हैं कि डबल इंजन की सरकार में इंजन आपस में टकराने लगे हैं। दरअसल, अखिलेश यादव इस बहाने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दुखती रग पर हाथ रख देते हैं।
लखनऊ में भाजपा के गलियारे में कई बड़े नेता मानते हैं कि उत्तराखंड, कर्नाटक, गुजरात की ही तरह उत्तर प्रदेश की सत्ता में बड़ा बदलाव हो सकता था। एक कैबिनेट मंत्री यहां तक कहते हैं कि गुजरात में तो मुख्यमंत्री ही नहीं, सभी मंत्रियों तक को बदल दिया गया। वह कहते हैं कि ऐसा फैसला तो आजाद भारत के बाद उन्हें कोई भी याद नहीं है। अब देखिए गुजरात में सब ठीक चल रहा है। उत्तराखंड में काफी कुछ ठीक हो गया। कर्नाटक में येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद पार्टी और सरकार दोनों की छवि मजबूत हुई है।
हालांकि, वह कहते हैं कि इन सभी सरकारों की तुलना में उ.प्र. की योगी सरकार का कामकाज शीर्ष पर है। लेकिन इसके बावजूद उन्हें लग रहा है कि प्रदेश भर में छुट्टा गाय-बछड़े, साड़ और गौवंश का मुद्दा और पेट्रोलियम उत्पादों के बढ़ते दाम बड़ी परेशानी का सबब हैं। वह कहते हैं कि प्रदेश की सरकार इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार कर रही है। उनका कहना है कि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और संगठन इसे लेकर बेहद गंभीर है।
मंत्रियों के आवास पर तस्वीरों में भी चमकते हैं केशव प्रसाद मौर्य
लखनऊ में कुछ मंत्रियों के आवास पर उनके बैठक कक्ष में जिस तरह तस्वीरें सजी दिखती हैं उसमें केशव प्रसाद मौर्य भी बेहद अहम हैं। इनके बैठक कक्षों में संघ के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय गृहमंत्री की तस्वीर तो प्रमुखता से दिखेगी ही, साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की तस्वीरें भी हैं। समाजवादी पार्टी के नेता इन तस्वीरों पर भी तंज कसते हैं। वह कहते हैं कि भाजपा के ही तमाम नेता योगी आदित्यनाथ को अपना नेता नहीं मानते। वहीं भाजपा के एक विधायक का कहना है कि जहां भी ढूंढिएगा, नकारात्मकता मिल जाएगी। हम इस विषय में कुछ नहीं कहना चाहते। ये विधायक महोदय दावा करते हैं लेकिन एक बात साफ है कि 2022 का विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लड़ा जाएगा और भाजपा 300 से अधिक सीटें लाएगी। इस अभियान में भाजपा के मंत्री, विधायक, नेता, संगठन पूरे मनोयोग से लगे हैं। चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी. गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के मार्गदर्शन में होगा।