नवजोत सिंह सिद्धू ने मंगलवार दोपहर को 3 बजे अपना इस्तीफा ट्विटर पर जारी कर हर किसी को चौंका दिया था. नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी ट्वीट की, जिसमें उन्होंने बताया कि वह अपने मुद्दों से समझौता नहीं कर सकते हैं और इसलिए पद छोड़ रहे हैं.
अगले दिन यानी बुधवार को नवजोत सिंह सिद्धू ने फिर से ट्विटर का ही सहारा लिया और अपना पहला बयान जारी किया. नवजोत सिंह सिद्धू ने एक वीडियो संदेश में कहा कि दागी सिस्टम को हटाने की बात हुई थी, लेकिन फिर दागियों को लाया जा रहा है जो ठीक नहीं है. वह हक-सच की लड़ाई लड़ते रहेंगे, ऐसे में अपने एजेंडे से पीछे नहीं हटेंगे.
अपने ट्विटर हैंडल पर जारी एक वीडियो में नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा, ‘प्यारे पंजाबियों, मैं 17 साल से राजनीति में एक मकसद के कारण हूं. पंजाब के लोगों की जिंदगी को बेहतर करना, बदलाव लाना और मुद्दों पर आधारित राजनीति में एक स्टैंड लेकर उस पर खरा उतरना, यही मेरा धर्म है और यही मेरा फर्ज है. मेरी कोई निजी लड़ाई नहीं है, बल्कि मेरी लड़ाई मुद्दों की है, जो लड़ते आ रहा हूं. पंजाब की बेहतरी के साथ खड़ा होना ही मेरा एजेंडा है और इसके साथ मैं कोई समझौता नहीं कर सकता और मैं हक और सच की लड़ाई लड़ता रहूंगा.’
वीडियो संदेश में वह आगे कहते हैं मेरे पिता ने एक ही बात सिखाई है कि जब भी मुश्किल घड़ी हो, सच की लड़ाई लड़ो. आजकल मैं देख रहा हूं कि मुद्दों के साथ समझौता हो रहा है, जिन्होंने कुछ साल पहले बादल को क्लीनचिट दी थी, उन्हें आज अहमियत दी जा रही है. यह देखकर मेरी रूह कांपजाती है. सिद्धू ने कहा कि मैं पंजाब में मुद्दों और एजेंडा के साथ समझौता देख रहा हूं. मैं आलाकमान को नहीं गुमराह कर सकता हूं और न ही गुमराह होने दे सकता हूं. मैं पंजाब के लोगों के लिए कोई भी कुर्बानी दे सकता हूं, मगर अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करूंगा. उन्होंने कहा कि दागी नेताओं और अफसर को वह किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे.
नवजोत सिंह सिद्धू की एंट्री से लेकर एग्जिट तक पंजाब कांग्रेस में घमासान ही रहा. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पहले उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का विरोध किया, अब जब सिद्धू ने पद छोड़ा तब भी कैप्टन ने कहा कि वह पहले ही बता चुके थे कि सिद्धू स्थिर व्यक्ति नहीं हैं.
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी कहा कि जिनको पंजाब कांग्रेस की जिम्मेदारी दी गई थी, उन्हें पंजाब की समझ ही नहीं थी. पंजाब में जो राजनीतिक हालात बन गए हैं, उसे ठीक करना जरूरी है. पंजाब में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ती है तो सिर्फ पाकिस्तान को ही फायदा होता है.