सदियां गुजर जाने के बाद आज भी यदि चाणक्य द्वारा बताए गए सिद्धांत और नीतियां प्रासंगिक हैं, तो महज इसलिए क्योंकि उन्होंने अपने गहन अध्ययन, चिंतन और जीवन के अनुभवों से अर्जित अमूल्य ज्ञान को, पूरी तरह नि:स्वार्थ होकर मानवीय कल्याण के उद्देश्य से अभिव्यक्त किया.
आचार्य चाणक्य (Chanakya) एक ऐसी महान विभूति थे, जिन्होंने अपनी विद्वता-बुद्धिमता और क्षमता के बल पर भारतीय इतिहास की धारा को बदल दिया. मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में भी विश्वविख्यात हुए.
चाणक्य नीति के पहले अध्याय के आठवें श्लोक में लिखा है कि-
यस्मिन देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बांधव:।
न च विद्यागमोऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत्।।
इस श्लोक में 5 ऐसी बातें बताई गई हैं, जिनका ध्यान नई जगह घर बनाते समय या नया घर खरीदते समय ध्यान रखना चाहिए. चाणक्य कहते हैं जिस जगह सम्मान, रोजगार, कोई दोस्त या रिश्तेदार, शिक्षा के साधन न हो, वहां घर बनाने से बचना चाहिए.
जिस क्षेत्र के लोगों में कोई गुण न हो, वहां घर नहीं बनाना चाहिए. ऐसी जगह को तुरंत छोड़ देना चाहिए. जिस जगह हमारे मित्र और रिश्तेदार रहते हैं, जहां के लोग गुणवान हैं, जहां रोजगार और शिक्षा के साधन हैं, जहां मान-सम्मान मिलता है, वहां घर बनाना चाहिए. ये सभी बातें हमें बुरे समय बचा सकती हैं.
बुद्धिमान व्यक्ति को ऐसे देश में कभी नहीं जाना चाहिए जहां पर रोजगार कमाने का कोई साधन न हो, जहां लोगों को किसी बात का भय न हो, जहां लोगो को किसी बात की लज्जा न हो, जहां लोग बुद्धिमान न हों, और जहां लोगो की वृत्ति दान धर्म करने की नहीं हो.
आचार्य चाणक्य के अनमोल वचन : आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) कहते हैं कि जैसे एक बछड़ा हज़ारो गायों के झुंड मे अपनी मां के ही पीछे चलता है. उसी तरह से आदमी के अच्छे और बुरे कर्म उसके पीछे चलते हैं.