यूपी, बिहार और झारखंड आदि में छठ पर्व को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से हो चुकी है. छठ पूजा का त्योहार नहाय-खाय से शुरू होता है. फिर खरना होता है. उसके बाद छठ पूजा (chhath puja) होती है. जिसमें सूर्य देव को शाम का अर्घ्य अर्पित किया जाता है. इसके बाद अगले दिन सूर्योदय के समय में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं और फिर पारण करके व्रत को पूरा किया जाता है.
छठ महापर्व के तीसरे दिन बुधवार को झारखंड, बिहार, पूर्वांचल समेत देश के विभिन्न हिस्सों में अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य अर्पित किया जाएगा. झारखंड की राजधानी रांची समेत अन्य जिलों में अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा.
रांची में 100 से ज्यादा छठ घाटों पर अर्घ्य दिया जाएगा. इसको लेकर सुरक्षा के साथ अन्य व्यवस्थाएं भी की गई हैं. ट्रैफिक को लेकर भी खास आदेश जारी किए गए हैं, ताकि जाम की स्थिति से श्रद्धालुओं को किसी तरह की कठिनाई न हो और वे बिना किसी बाधा के छठ घाटों तक पहुंच सकें.
छठ व्रतियों को ज्यादा कठिनाइयों का सामना न करना पड़े इसके लिए स्थानीय प्रशासन ने 35 अस्थाई तालाबों का भी निर्माण किया है. सभी में टैंकरों से पानी भरा गया है. बड़ी संख्या में लोगों ने अपने-अपने घरों में भी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने की व्यवस्था की है. सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी पुलिस मुख्यालय पुरी तरह से मुस्तैद है. राज्य के 9 जिलों में मंगलवार से ही अतिरिक्त सुरक्षाबल उपलब्ध कराए गए हैं. सभी जवानों और अफसरों की तैनाती संबंधित जिलों में 11 नवंबर तक के लिए की गई है.
छठ महापर्व के तीसरे दिन छठ पूजा होती है. ये षष्ठी तिथि पर होती है. इस दिन शाम को श्रद्धालु द्वारा डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. छठ के अगले दिन सप्तमी तिथि पर उषा अर्घ्य होता है .इस दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर भक्त अपना व्रत खत्म करते हैं. 11 नवंबर को उषा अर्घ्य सुबह छह बजकर चार मिनट और सूर्यास्त शाम पांच बजे होगा.