-अंतिम यात्रा में उमड़े हजारों श्रद्धालु
अहमदाबाद/वडोदरा, 27 फ़रवरी (हि.स.)। भारत सरकार से ब्रह्मर्षि अवार्ड से सम्मानित पुष्टिमार्गीय वैष्णव सम्प्रदाय के तृतीय पीठ के पीठाधीश्वर व्रजेशकुमार महाराज की संक्षिप्त बीमारी के बाद 85 वर्ष की अवस्था में सोमवार सुबह 11.45 बजे निधन हो गया। इनके निधन से देश-विदेश में बसे हजारों वैष्णव श्रद्धालुओं में शोक की लहर दौड़ गई। वडोदरा केवडा बाग बेठक मंदिर से हजारों की संख्या में उमड़े वैष्णवों ने उन्हें अंतिम विदाई दी। अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए।
सोमवार सुबह वडोदरा के केवडाबाग स्थित बेठक मंदिर में पीठाधीश्वर व्रजेश कुमार का पार्थिव शरीर दर्शन के लिए रखा गया। अंतिम दर्शन के लिए लंबी कतार लगी रही। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ने उन्हें अश्रुपूरित नेत्रों से विदाई दी। अंतिम यात्रा केवडा बाग बेठक मंदिर से निकलकर खंडेराव मार्केट, टावर चार रास्ता, नागरवाडा होकर बहुचराजी श्मशान पहुंची। यहां वे पंचतत्व में विलीन हो गए।
इससे पूर्व वडोदरा के वैष्णवाचार्य व्रजेशकुमार महाराज ने सुबह 11.45 बजे अंतिम श्वांस ली। डॉक्टरों के अनुसार वे 13 फरवरी को हॉस्पिटल में दाखिल कराए गए थे। उनके शरीर में संक्रमण फैल गया था। निधन का कारण मल्टीऑर्गन फेल्योर बताया गया।
व्रजेशकुमार महाराज संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे। इसके अलावा से अच्छे गायक और वादक भी थे। मुंबई के प्रसिद्ध जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स से उन्होंने स्नातक किया था। उन्हें राजस्थानी मिनिएचर आर्ट पेंटिंग का विशेषज्ञ माना जाता था। पुष्टिमार्ग और कृष्णलीला पर वे पेंटिंग बनाते थे। सनातन धर्म ही नहीं, बल्कि विश्व के कई धर्मग्रंथों का उन्होंने गहन अध्ययन किया था। राजस्थान के कांकरोली स्थित द्वारका मंदर, वडोदरा का बेठक मंदर और सुखधाम हवेली समेत 132 मंदिरों-वैष्णव हवेलियों के वे गादीपति थे। इनके दो पुत्रों में वागिशकुमार और द्वारकेशलाल हैं।