पालघर : महाराष्ट्र के पालघर जिले में बाइक एम्बुलेंस सेवा NGO की मदद से चलाया जा रहा है,जानकार हैरानी होगी की इस बाइक एम्बुलेंस में स्ट्रेचर, ऑक्सीजन किट, लाइट, फैन, आइसोलेशन केबिन जैसी अनेक सुविधाएँ मरीजों के लिए है। पालघर में इस एम्बुलेंस को फर्स्ट रेस्पॉन्डर नाम दिया गया है।
अलर्ट सिटीजन फोरम और स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने फिलहाल के लिए पालघर जिला प्रशासन को दो बाइक एम्बुलेंस सुपुर्द किया हैं, जो अब मरीजों की सेवा के लिए वहां की खस्तहाल सड़कों पर दौड़ रही हैं, संस्था की माने तो आने वाले कुछ दिनों में और 23 बाइकें प्रशासन को देने की योजना हैं।
अलर्ट सिटीजन फोरम के फाउंडर निरंजन आहेर ने बताया कि हमारी संस्था पिछले कई सालों से पालघर के ग्रामीण इलाकों में हेल्थ, एजुकेशन, एम्प्लॉयेन्ट जैसे विषयों पर काम कर रही हैं। हेल्थ के अलग अलग विषयों पर काम करते करते हमें यह अनुभव हुआ कि ख़राब और छोटे छोटे रास्तों की वजह से मरीजों को अस्पताल ले जाने में देरी हो जाती है और सही समय पर इलाज न मिल पाने के कारण उनकी मौत भी हो रही है। यहां के लोगों को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए हमने कई एक्सपेरिमेंट, रिसर्च और एक्सपर्ट से मिलने के बाद हमने मोटर बाइक एम्बुलेंस डेवलप करने के लिए सोचा।
शोले मूवी से आया ख्याल
आहेर ने बताया कि हमारे लिए यह काम किसी चुनौती से कम नहीं था, क्यूंकि बाइक को बनाने से पहले हमें मरीजों की हर सुविधा के बारे में ख्याल रखना था। हमारी टीम को शोले मूवी में इस्तेमाल किए गए बाइक याद आई, जिसमें साइड कार था। हमने उसपर काम करना चालू किया। चार से पांच महीने के कड़ी मशक्कत में बाद ‘फर्स्ट रेस्पॉन्डर नामक यह बाइक तैयार की।
बाइक एम्बुलेंस को कंटेनर की तरह किया गया है डेवेलोप
फर्स्ट रेस्पॉन्डर नामक यह बाइक कंटेनर की तरह डेवेलोप किया गया है, जिसका साइड कार खुलता है। इसके अंदर लाइट,फैन,रेस्क्यू स्ट्रेचर ,सलाइन स्टैंड, ऑक्सीजन सिलिंडर रखने की जगह और साथ ही साथ पेशेंट के रिलेटिव की बैठने की भी व्यवस्था की गई है। एम्बुलेंस में अच्छे तरह से प्रॉपर वेंटिलेशन को ध्यान रखते हुए चौतरफ विंडो भी बनाया गया है। बाइक की मेन बैटरी अगर फेल हो जाती है तो उसके लिए एडिशनल बैटरी की भी व्यस्था है। संस्था के फाउंडर ने बताया कि बाइक चालक पैरामेडिक वालंटियर्स है, आपातकालीन स्थिति में मरीज को कैसे हैंडल किया जाए उन्हें छोटी छोटी चीजों की ट्रेनिंग भी दी गई है।
कोरोना मरीजों के लिए मददगार है
अगर इस एम्बुलेंस की बात करे तो इसका इस्तेमाल कोरोना मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में भी किया जा सकता है, पुरे कंटेनर को आइसोलेशन किया गया है। ऐसे में पैरामेडिक ड्राइवर को PPE किट पहनने की आवश्यकता नही पड़ेगी, मरीज को अस्पताल छोड़ने के बाद पुरे बाइक को सैनिटाइज किया जायेगा।
आपको बता दें कि कोरोना महामारी ने खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में स्वस्थ्य व्यवस्था की पोल खोलके रख दी, ग्रामीण भाग में लचीली स्वस्थ्य व्यवस्था का आलम यह है कि लोगों को अस्पताल जाने के लिए सही समय पर एम्बुलेंस नहीं मिल पाता है, मिलता भी है तो ख़राब सड़कों कि वजह से मरीज तक नही पहुँच पाता है, ऐसे में पालघर के आदिवासी इलाकों में चल रही बाइक एम्बुलेंस सेवा मरीजों के लिए किसी उम्मीद से कम नही है।