रायपुर, 1 मई । भाजपा से इस्तीफा देने के बाद सोमवार को कांग्रेस में शामिल हुए आदिवासी नेता नंद कुमार साय के बयान में उनकी पीड़ा छलकी। उन्होंने कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में कांग्रेस की सदस्यता लेने के बाद कहा कि भाजपा अटल, आडवाणी वाली पार्टी के रूप में अब नहीं रही है, परिस्थितियां बदल चुकी हैं। मेरा यह निर्णय जीवन का बहुत कठिन निर्णय है। जनसंघ के समय से मैं और मेरे परिवार के लोग भाजपा में रहे हैं।
कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपस्थिति में साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में छोटे गांव और कस्बे थे। भूपेश सरकार के काम पर मैंने स्टडी की है। छोटे गांव और कस्बे शहर बन गए। हम कहते थे देशभर का नाता है, गौ हमारी माता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसे एक नया स्वरूप दिया है। नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना जनता के लिए कारगर साबित हुई है। मुझे अच्छा लगा भूपेश सरकार ने राम वनगमन पथ को बनाया।
उन्होंने कहा कि आज की तारीख में मैं भाजपा में किसी पद पर नहीं था। मैं एक सामान्य कार्यकर्ता था। भले ही पार्टी में पद नहीं मिलता, लेकिन काम कैसे किया जा सकता है। ये तो पूछा जा सकता था। मैंने अटल बिहारी बाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे लोगों के साथ रहा हूं। अटल बिहारी बाजपेयी को फॉलो करता था, लेकिन भाजपा अब अटल व आडवानी वाली पार्टी नहीं रही। उन्होंने कहा कि भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस अच्छा काम कर रही है। दल का महत्व नहीं है, आम जनता के लिए काम करना है। मिलकर काम करेंगे तो छत्तीसगढ़ अच्छा होगा।
वह सच्चे आदिवासी नेता
इस मौके पर भूपेश बघेल ने कहा कि आज अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस है। ऐसे समय में गरीबों और आदिवासियों के लिए संघर्ष करने वाले नंद कुमार साय आज कांग्रेस में शामिल हुए हैं। इसलिए उन्हें बधाई देता हूं। वह सच्चे आदिवासी नेता हैं। बघेल ने कहा कि नंदकुमार साय का जीवन बहुत सादगी भरा है। वे अनाज तो खाते हैं लेकिन नमक नहीं खाते। पूरा जीवन आदिवासियों की सेवा के लिए संघर्ष किया। गरीबों के लिए लड़ते रहे। हमारी सरकार बनने के बाद आदिवासियों के हित में लिए गए निर्णय पर नंदकुमार साय सार्वजनिक रूप से हमारे कामों की प्रशंसा करते रहे हैं।