छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने पति पर पत्नी के रेप मामले में एक बड़ा फैसला दिया है. छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि पति द्वारा पत्नी के साथ जबरन बनाया शारीरिक संबंध भी रेप की श्रेणी में नहीं आएगा. अदालत ने एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान ये फैसला दिया है और पति को ‘वैवाहिक बलात्कार’ के आरोपों से मुक्त कर दिया है.
अप्राकृतिक सेक्स के मामले में चलेगा केस
मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा है कि कानूनी तौर पर विवाहित पत्नी के साथ बलपूर्वक या उसकी इच्छा के विरुद्ध यौन संबंध या यौन क्रिया बलात्कार नहीं है. हालांकि पत्नी की उम्र 18 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए. हालांकि अदालत ने इस मामले में पति को वैवाहिक रेप के आरोपों से मुक्त कर दिया है लेकिन इसके खिलाफ अब अदालत में आईपीसी के तहत अप्राकृतिक सेक्स (धारा 377) के तहत मुकदमा चलेगा.
रिपोर्ट के मुताबिक महिला ने अपने पति और सास-ससुर पर दहेज की मांग करने और घरेलू हिंसा के आरोप लगाए थे. इसके अलावा महिला ने आरोप लगाया था कि उसकी ओर से विरोध किए जाने के बाद भी पति जबरन अप्राकृतिक यौन संबंध बनाता है.
बेमेतरा जिला निवासी एक महिला ने अपने पति पर जबरदस्ती व उसकी मर्जी के खिलाफ शारीरिक संबंध बनाने का केस दर्ज कराया था. पति व उसके परिवार के कुछ सदस्यों पर दहेज उत्पीड़न का केस भी दर्ज कराया गया था. शिकायत में बताया गया था कि साल 2017 में उसका विवाह हुआ था. विवाह के बाद पति ने उसके साथ कई बार उसकी मर्जी के खिलाफ शारीरिक संबंध बनाए और दहेज के लिए प्रताड़ित किया. इस मामले में बेमेतरा के सेशन कोर्ट ने पति पर 498, 376, 377 व 34 के तहत आरोप तय किए थे, जिसके खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में आवेदन किया था.
कोर्ट ने दी ये दलील
IPC की धारा 375 के अपवाद II पर भरोसा करते हुए न्यायमूर्ति एनके चंद्रवंशी की कोर्ट ने कहा- “किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध या यौन क्रिया, जिसकी पत्नी अठारह वर्ष से कम उम्र की न हो, बलात्कार नहीं है. इस मामले में, शिकायतकर्ता आवेदक नंबर 1 की कानूनी रूप से विवाहित पत्नी है, इसलिए पति द्वारा संभोग या कोई भी यौन कृत्य बलात्कार का अपराध नहीं माना जाएगा, भले ही वह बलपूर्वक या उसकी इच्छा के विरुद्ध हो.”
बता दें के मैरिटल रेप या वैवाहिक बलात्कार को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में भी केस आया था. इस दौरान केंद्र ने कहा था कि मैरिटल रेप को अपराध की कैटेगरी में नहीं रखा जा सकता है. सामान्य शब्दों में कहें तो वैवाहिक बलात्कार भी घरेलू हिंसा का ही एक विकृत रूप है. इसका अर्थ पत्नी की सहमति के बगैर उसके साथ यौन संबंध बनाना अथवा ऐसा करने के लिए विवश करने से है. लेकिन भारतीय दंड संहिता में पूरी तरह से इसकी व्याख्या नहीं की गई है.
आईपीसी की धारा 376 बलात्कार जैसे दोष के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करता है. इसकेnअनुसार पत्नी से रेप करने वाले पति के लिए सजा का प्रावधान तो है बशर्ते पत्नी की उम्र 12 साल से कम हो. हालांकि यहां ये बता देना भी जरूरी है कि भारत में 12 साल की उम्र में लड़कियों का विवाह बाल विवाह की कैटेगरी में आता है. जो कि स्वयं एक गुनाह है. IPC की धारा 376 में कहा गया है कि 12 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ पति अगर रेप करता है तो उस पर जुर्माना या उसे 2 साल तक की सजा या दोनों हो सकती हैं.