राजधानी दिल्ली के मेयर चुनाव के लिए हो रहे चुनाव के बीच आप और भाजपा पार्षदों के बीच हाथापाई और मारपीट के कारण सदन को स्थगित करना पड़ा है। अब आगामी सदन की तारीख को दिल्ली महापौर (Delhi Mayor) का चुनाव होगा, जिसकी तारीख उपराज्पाल विनय कुमार सक्सेना तय करेंगे।
बता दें कि चुनाव परिणा के करीब एक महीने बाद आज यानी शुक्रवार को दिल्ली को मेयर मिलने वाला था। लेकिन मनोनीत सदस्यों को पहले शपथ दिलाने के कारण हंगामा शुरू हो गया। आप पार्षदों के विरोध करने पर भाजपा पार्षद भी सामने आ गए। इस कारण दोनों पार्टियों के पार्षदों में मारपीट और हाथापाई शुरू हो गई। इस दौरान दोनों ओर से एक-दूसरे के ऊपर कुर्सियां भी फेंकी गईं, साथ ही मेजें तोड़ी गईं।
हंगामा रोकने के लिए सदन की कार्यवाही दो बार रोकी गई, लेकिन दोनों ओर से हंगामा चालू रहा। हंगामे के चलते सदन को स्थगित करना पड़ा। ऐसा दिल्ली नगर निगम के इतिहास में पहली बार हुआ है कि मेयर चुनाव के दिन बिना मेयर चुनावे सदन स्थगित किया गया हो। अब एलजी सदन की अगली तारीख तय करेंगे और उस दिन दिल्ली का मेयर चुना जाएगा।
गौरतलब है कि दिल्ली नगर निगम के मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के 6 सदस्यों का चुनाव शुक्रवार को होना था। इसके लिए सिविक सेंटर में मतदान प्रक्रिया सुबह 11 बजे शुरू होनी थी। लेकिन, इससे पहले बीजेपी और आप पार्षदों के बीच हंगामा और हाथापाई शुरू हो गई, जिसके चलते सदन स्थगित कर दी गई और कई पार्षद पीठासीन अधिकारी के आसन से नीचे गिर गए। हंगामे की वजह से शुक्रवार को मतदान नहीं हो पाया। एमसीडी मेयर चुनाव के लिए अब नयी तारीख तय होगी।
इससे पहले मनोनीत पार्षदों को शपथ दिलाने पर आम आदमी पार्टी के विधायकों ने सदन में हंगामा किया। आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने कहा कि मनोनीत पार्षद गैरकानूनी तरीके से सदन में भेजे गए हैं, उनको शपथ नहीं दिलाई जानी चाहिए और इसके बाद बीजेपी और आप पार्षदों में विवाद बढ़ता चला गया।
मनीष सिसोदिया ने भाजपा पर साधा निशाना
हंगामे पर दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने बीजेपी पर हमला बोला है। आम आदमी पार्टी और भाजपा के पार्षदों में हुए हंगामे के बीच दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा कि MCD में अपने कुकर्मों को छिपाने के लिए और कितना गिरोगे भाजपा वालों। उन्होंने कहा कि चुनाव टाले, पीठासीन अधिकारी की गैरकानूनी नियुक्ति, मनोनीत पार्षदों की गैरकानूनी नियुक्ति, और अब जनता के चुने पार्षदों को शपथ न दिलवाना। अगर जनता के फैसले का सम्मान नहीं कर सकते तो फिर चुनाव ही किसलिए?