दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर (LG) वीके सक्सेना ने चीफ सेक्रेटरी को आम आदमी पार्टी (AAP) से 97 करोड़ रुपए वसूलने के आदेश दिए हैं। इसके लिए पार्टी को 15 दिन का समय दिया गया है। CM अरविंद केजरीवाल पर आरोप है कि उन्होंने पार्टी के प्रचार में सरकारी पैसे खर्च किए, जो कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है। LG का कहना है कि केजरीवाल ने राजनीतिक विज्ञापनों को सरकारी विज्ञापन के तौर पर पब्लिश करवाया है।
उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना का ये आदेश 2015 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश, 2016 के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश और 2016 के CCRGA के आदेश के मद्देनजर आया हैं। जिसका दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार से उल्लंघन किया जा रहा है।
उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मुख्य सचिव को दिए अपने आदेश में यह निर्देश दिया है कि, सितंबर, 2016 के बाद से सभी विज्ञापनों को सीसीआरजीए को जांच और यह सुनिश्चित करने के लिए भेजा जाए कि क्या वे सुप्रीम कोर्ट के जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप हैं? ऐसे में एलजी ने उक्त अवैध कमेटी के कामकाज में खर्च की गई राशि को भी वसूल करने की मांग की है।
दिल्ली एलजी के आफिस की तरफ से कहा गया कि, सरकारी फंड का राजनीतिक दल के फायदे के लिए इस्तेमाल किया गया है। यह सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन भी है। सूचना एवं प्रचार निदेशालय (डीआईपी) ने दिनांक 30.03.2017 के एक लेटर के माध्यम से दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के संयोजक को निर्देश दिया कि, वह राज्य के कोष में 42,26,81,265 रुपए तत्काल भुगतान करें और बकाया राशि का भी तत्काल भुगतान करें। मिली जानकारी के मुताबिक सितंबर 2016 से अब तक दिल्ली सरकार के सभी विज्ञापनों की एक्सर्ट कमेटी से जांच की जाएगी।
बताया जा रहा है कि, 5 साल 8 महीने बीतने के बाद डीआईपी के आदेश का पालन नहीं किया गया है। एलजी ऑफिस की ओर से कहा गया कि, यह बेहद गंभीर मामला है कि, जनता के पैसों को सरकारी खजाने में जमा नहीं किया गया।
अगस्त 2016 में हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन सदस्यों की एक कमेटी गठित की थी। कमेटी को विज्ञापनों पर खर्च की गई राशि को लेकर जांच के आदेश दिए गए थे। समिति ने 16 सितंबर 2016 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें AAP को दोषी पाया गया था।
रिपोर्ट में बताया गया था कि पार्टी ने सरकारी विज्ञापनों का इस्तेमाल खुद के लिए किया है। उन्होंने कई संचार माध्यमों से सरकारी पैसे पर विपक्ष पर निशाना साधा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सितंबर 2016 से अब तक दिल्ली सरकार के सभी विज्ञापनों की एक्सपर्ट कमेटी द्वारा जांच की जाएगी।