तीनों कृषि कानून वापस लेने और किसानों की मांगों को मानने का लिखित प्रस्ताव केंद्र सरकार से मिलने के बाद गुरुवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन स्थगित करने और दिल्ली के बॉर्डरों को खाली करने का एलान कर दिया था. इस बीच सिंघु, गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर से किसानों की वापसी का दौर शुरू हो गया है. टेंट उखड़ने लगे हैं, तंबू निकाल कर गाड़ियों में रखे जा रहे हैं. इसके अलावा लंगर का सामान भी लौट रहा है.
गुरुवार को ही किसान संगठनों की संस्था संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन की समाप्ति का ऐलान करते हुए कहा था कि हम शनिवार से घर वापसी शुरू कर देंगे. इसके बाद से दिल्ली बॉर्डरों पर जाम की समस्या खत्म होने और लोगों को आवाजाही में होने वाली परेशानी दूर होने की उम्मीद बढ़ गई है.
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया है कि दिल्ली के गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर डटे किसान 15 से 16 दिसंबर तक हट जाएंगे. उन्होंने कहा कि हम कल से बॉर्डरों से हटना शुरू करेंगे और 4 से 5 दिन यानी 15 से 16 दिसंबर तक बॉर्डर खाली कर देंगे. राकेश टिकैत ने गाजीपुर बॉर्डर को लेकर कहा कि हम कम से कम एक रोड को 12 दिसंबर तक खाली करने का प्रयास करेंगे.
किसान नेता ने कहा कि सरकार से फिलहाल कोई गतिरोध नहीं है और समझौता हो गया है. यही नहीं उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में जुटने वाले लोगों के लिए हर साल 8 से 10 दिनों के लिए एक मेले का आयोजन किया जाएगा. इससे लोगों को आपस में मुलाकात करने का मौका मिल सकेगा.
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन का कहना है कि शनिवार को आंदोलन स्थल पर मंच का संचालन होगा। इसके बाद किसान मुख्य टेंट हटाने शुरू करेंगे। हालांकि इस प्रक्रिया में भी करीब एक हफ्ते का समय लग जाएगा.
भाकियू के जिलाध्यक्ष चौधरी बिजेंद्र सिंह ने कहा कि किसानों को सामान समेटने में दो से तीन दिन लग जाएंगे. 11 दिसंबर को कुछ लोग वापसी करेंगे और फिर सब सुविधाजनक तरीके से लौटते रहेंगे. उन्होंने कहा कि किसानों की वापसी खुशी और गम के बीच हो रही है. किसानों को जीत मिली है लेकिन लौटते हुए इसका कोई जश्न नहीं मनाया जाएगा. बुधवार को हादसे में देश ने सीडीएस बिपिन रावत के रूप में अपना वीर सपूत खोया है और पूरा देश अभी शोक में डूबा हुआ है, किसान भी इस दुख में शामिल है. ऐसे में हम लोग शांतिपूर्ण वापसी करेंगे.