नई दिल्ली, 22 मई । दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली नगर निगम ने हाल ही में एक आदेश जारी कर उसके द्वारा संचालित सार्वजनिक शौचालयों की सफाई के लिए तेजाब के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।
डीसीडब्ल्यू अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने सोमवार को बताया कि बीते 6 अप्रैल को जीबी पंत अस्पताल के गेट नंबर 8 के सामने नगर निगम के एक महिला शौचालय का निरीक्षण किया था, जहां उन्होंने शौचालय के अंदर खुले में एसिड से भरा 50 लीटर का डिब्बा पाया था। पूछताछ में श्रीराम ग्रामीण विकास संस्थान (जिसे एमसीडी द्वारा शौचालय परिसर के रखरखाव और संचालन के लिए अनुबंध दिया गया है) के एक कर्मचारी द्वारा बताया गया था कि वे शौचालयों को साफ करने के लिए हर महीने एसिड खरीदते हैं।
डीसीडब्ल्यू ने इसकी जानकारी नगर निगम को देते हुए तत्काल तेजाब के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की थी। इसको लेकर सिटी जोन के वरिष्ठ अधिकारी आयोग के सामने उपस्थित हुए और एक लिखित उत्तर दिया। इसमें कहा गया कि एमसीडी द्वारा सार्वजनिक शौचालयों की सफाई के लिए एसिड के उपयोग को रोकने के लिए कोई दिशानिर्देश जारी नहीं किए गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि एमसीडी द्वारा अनुबंध समझौते में उनपर लगाए गए नियमों और शर्तों के अनुसार शौचालयों की सफाई (एजेंसी द्वारा) की जाती है। इसके अलावा उन्होंने शौचालय के रखरखाव और संचालन के लिए एमसीडी और एजेंसी (श्री राम ग्रामीण विकास संस्थान) के बीच अनुबंध समझौते की एक प्रति भी दी थी।
इस पर डीसीडब्ल्यू ने मामले को उठाया और दिल्ली नगर निगम आयुक्त को नोटिस जारी कर मामले में स्पष्टीकरण और कार्रवाई रिपोर्ट मांगी। 16 मई को एमसीडी के वरिष्ठ अधिकारी इस मामले में डीसीडब्ल्यू के सामने पेश हुए और बताया कि वर्तमान में 308 सामुदायिक शौचालयों/सार्वजनिक शौचालयों को निजी एजेंसियों को आउटसोर्स किया गया है, जिनका एमसीडी के साथ समान अनुबंध है। इसमें कहा गया है कि साप्ताहिक रूप से शौचालयों की सफाई के लिए तेजाब का प्रयोग नहीं करने पर दिल्ली नगर निगम, एजेंसी पर प्रति दिन एक हजार रुपये का जुर्माना लगा जा सकता है। पूछताछ में पता चला कि अनुबंध दस्तावेज को उत्तरी दिल्ली नगर निगम के सदन ने 2017 में मंजूरी दी थी, जिसमें शौचालयों की सफाई के लिए तेजाब के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया गया था। इसके बाद डीसीडब्ल्यू के हस्तक्षेप के बाद एमसीडी ने हाल ही में एक आदेश जारी कर उसके द्वारा संचालित सार्वजनिक शौचालयों की सफाई के लिए तेजाब के इस्तेमाल पर रोक लगा दी।
शौचालय में इतनी बड़ी मात्रा में खुले में तेजाब पाकर स्वाति मालीवाल हैरान रह गई थीं। उन्होंने कहा था कि यह गैरकानूनी और खतरनाक है, क्योंकि कोई भी इस तेजाब को आसानी से लेकर एसिड अटैक के लिए इसका इस्तेमाल कर सकता था। तब उन्होंने पाए गए तेजाब को दिल्ली पुलिस द्वारा तुरंत जब्त करवाने के साथ नगर निगम अधिकारियों को शौचालयों में तेजाब की मौजूदगी के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए समन जारी किया था।
अनुबंध समझौते को देखने पर आयोग ने पाया कि उस पर 17 जुलाई, 2017 को हस्ताक्षर किए गए थे और एजेंसी को 40 शौचालय परिसरों का रखरखाव का जिम्मा सौंपा गया था। डीसीडब्ल्यू को प्रस्तुत एमसीडी का जवाब भी अनुबंध समझौते (एमसीडी और एजेंसी के बीच) के नियम और शर्तों के नियम 36 की ओर इशारा करता है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अगर एजेंसी द्वारा साप्ताहिक रूप से शौचालयों को साफ करने के लिए एसिड का उपयोग नहीं किया जाता है, तो एमसीडी द्वारा एजेंसी पर प्रतिदिन एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।