रियल स्टेट कंपनी सुपरटेक (Supertech) को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ा झटका लगा. कोर्ट ने नोएडा एक्सप्रेस स्थित एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के टॉवर-16 और 17 को अवैध ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए दोनों अवैध टॉवर्स को गिराने का आदेश दिया. सुपरटेक के ये दोनों ही टॉवर 40-40 मंजिला हैं और दोनों टॉवर्स में 1-1 हजार फ्लैट्स हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने फैसले में कहा कि इन टावरों का निर्माण नोएडा प्राधिकरण और सुपरटेक के अधिकारियों के बीच मिलीभगत का परिणाम था. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुपरटेक को ट्विन टॉवर्स को अपने खर्चे पर तीन महीने के अंदर गिराने का आदेश दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने खरीददारों को दो महीने में ब्याज समेत पैसे वापस करने का आदेश दिया.
Supreme Court orders demolition of two 40-floor towers built by real estate company Supertech in one of its housing projects in Noida; says construction was a result of the collusion between the officials of the Noida authority and Supertech
बेंच ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2014 के फैसले को बरकरार रखा और सुपरटेक को एक एक्सपर्ट बॉडी की देखरेख में इन टावरों को गिराने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कंपनी को दो महीने के भीतर सभी फ्लैट खरीददारों को रक वापस करने के लिए कहा है, इसके अलावा रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को 2 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा है, जिसने अवैध निर्माण के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व किया.
इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने 11 अप्रैल 2014 को नियमों का उल्लंघन करने के चलते दोनों टॉवर्स को ध्वस्त करने का निर्देश दिया था. इसके बाद घर खरीदारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. बता दें कि शीर्ष अदालत ने तीन अगस्त को पिछली सुनवाई में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. उस वक्त भी अदालत से नोएडा अथॉरिटी को खूब फटकार पड़ी थी. अदालत ने कहा था कि अथॉरिटी को एक सरकारी नियामक संस्था की तरह व्यवहार करना चाहिए, ना कि किसी के हितों की रक्षा के लिए निजी संस्था की तरह.