गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए आज सौराष्ट्र-कच्छ और राज्य के दक्षिणी हिस्सों के 19 जिलों में 89 सीटों पर मतदान हो रहा है. पहले फेज की वोटिंग के लिए 25393 पोलिंग स्टेशन बनाए गए हैं. इन पर सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान होगा. लिहाजा आज 788 उम्मीदवारों किस्मत ईवीएम में कैद हो जाएगी. पहले चरण में 339 निर्दलीय भी मैदान में हैं.
पहले घंटे में गुजरात में 4.5 प्रतिशत मतदान हुआ. सुबह 11 बजे तक 18.95% वोटिंग हुई. दोपहर एक बजे तक 34.48 फीसदी मतदान हुआ है। तापी में सबसे ज्यादा 26.47 प्रतिशत मतदान हुआ है. भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में इस बार मुख्य मुकाबला है.
गुजरात में पहले चरण के मतदान के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. गुजरात के DGP आशीष भाटिया ने बताया कि इसके लिए अतिरिक्त बल तैनात किए गए हैं, अर्धसैनिक बल भी तैनात हैं. लोग बिना किसी डर के मतदान कर सकें इसके लिए सभी इंतजाम किए गए हैं.
सत्तारूढ़ भाजपा राज्य में 27 साल के लंबे शासन को बनाए रखने के लिए आत्मविश्वास से भरी हुई है, जबकि कांग्रेस राज्य में अपना दूसरा स्थान बचाने के लिए बेताब है. वहीं अरविंद केजरीवाल की आप ‘एंटी-इनकंबेंसी’ को भुनाने की कोशिश कर रही है’ और सत्ता में आने के लिए महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे उठा रही है.
सूची में सबसे पहले जामनगर उत्तर है. यहां लड़ाई भाजपा के रिवाबा जडेजा (क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी) और कांग्रेस के बिपेंद्र सिंह जडेजा और आप के करसन करमूर के बीच है. भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अहीर जीवनभाई करूभाई कुंभारवाडिया को हराकर सीट जीतने वाले मौजूदा विधायक धर्मेंद्रसिंह मेरुभा को हटा दिया था. यह सीट तब सुर्खियों में आई, जब एक ही परिवार के दो सदस्य दो पार्टियों में बंट गए हैं. रिवाबा भाजपा से चुनाव लड़ रही हैं और उनकी भाभी और ससुर कांग्रेस उम्मीदवार का चुनाव प्रचार कर रहे हैं.
सूची में दूसरे स्थान पर मोरबी है. यह हाल ही में एक दुखद घटना के बाद चर्चा का विषय बन गया. मोरबी पुल गिरने से 130 से अधिक लोगों की जान चली गई. भाजपा ने कांतिलाल अमृतिया को मैदान में उतारा है, जिन्होंने मौजूदा विधायक और कैबिनेट मंत्री बृजेश मेरजा की जगह ली है, और वह कांग्रेस के जयंतीलाल जेरजभाई पटेल और आप के पंकज रनसरिया के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. विपक्षी दलों ने चुनाव प्रचार के दौरान मोरबी घटना में “कुप्रबंधन” का मुद्दा उठाया, इस घटना पर सरकार को घेरने की कोशिश की. हालाँकि, ऐतिहासिक रूप से, भाजपा ने 1995, 1998, 2002, 2007 और 2012 में मोरबी विधानसभा सीट जीती थी.