कांग्रेस और शिवसेना आए आमने-सामने
महाविकास आघाड़ी सरकार में दिखा मतभेद
मुंबई। पिछले कई सालों से औरंगाबाद जिले का नाम संभाजी नगर करने की मांग शिवसेना करती आ रही है. वही कांग्रेस और राकांपा इस मांग का हमेशा से विरोध करती आ रही हैं. अब जब औरंगाबाद मनपा चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है तो ऐसे में शिवसेना ने एक बार फिर से औरंगाबाद का नाम बदलने की मांग की है. इसको लेकर जिले के आयुक्त ने राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग को प्रस्ताव भेज दिया है। राज्य की सरकार में सहयोगी दल कांग्रेस पार्टी ने इसका तीव्र विरोध किया है.
औरंगाबाद जिले का नाम संभाजीनगर रखने का विरोध करते हुए कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष बालासाहेब थोरात ने कहा कि हम संभाजी नगर के नामकरण का विरोध करेंगे। विकास के मुद्दे पर महाविकास आघाड़ी की स्थापना न्यूनतम साझा कार्य्रकम के तहत हुई है. जिसमे इस तरह से शहरों का नाम बदलने का फैसला नहीं लिया गया है।थोरात ने कहा कि हम नाम बदलने के एजेंडे से सहमत नहीं हैं। कांग्रेस नाम बदलने में विश्वास नहीं करती है। शहर का नाम बदलने से कुछ चीजों का इतिहास नहीं बदलता है। हम विकास के साथ-साथ आम लोगों का ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और राज्य संविधान के मूल सिद्धांतों को अपना रहा है।
शिवसेना की पुरानी मांग
साल 1995 में राज्य की तत्कालीन युति की सरकार के दौरान औरंगाबाद मनपा ने इस तरह का प्रस्ताव 19 जून को नाम बदलकर संभाजीनगर करने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा था।उस समय सरकार ने अधिसूचना भी जारी कर दी थी लेकिन मुंबई उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका में सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी।
अदालत ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा था कि उसे शहर का नाम बदलने का अधिकार है। बाद में राज्य में सत्ता में वापस आने के बाद उस प्रस्ताव को वापस ले लिया गया. उस समय के न्यायालय के निर्णय का हवाला देते हुए औरंगाबाद के विभागीय आयुक्त ने सामान्य प्रशासन विभाग को नया प्रस्ताव भेजा है जिसपर अंतिम निर्णय कैबिनेट की बैठक में होगा। राज्य की कैबिनेट में निर्णय होने के बाद प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद नया नामकारण कर दिया जाएगा। कांग्रेस के साथ-साथ एआईएमआईएम ने भी औरंगाबाद को संभाजीनगर नाम देने के विरोध किया है.