महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार में पहला बिखराव हुआ है. किसानों की पार्टी स्वाभिमानी शेतकरी संघठना ने महाविकास अघाड़ी से नाता तोड़ लिया है. पार्टी के अध्यक्ष राजू शेट्टी ने महाराष्ट्र सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया है. हालाकी, राजू शेट्टी के समर्थन वापस लेने से महाराष्ट्र सरकार की स्थिरता पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
शेट्टी ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है जब शिवसेना नेता संजय राउत पर ईडी की कार्रवाई के कारण महाराष्ट्र और केंद्र सरकार आमने-आमने सामने आ गई है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा शिवसेना नेता संजय राउत से जुड़ी संपत्तियों को कुर्क किये जाने की कार्रवाई को महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे ने मंगलवार को प्रतिशोध की राजनीति करार दिया.
रिपोर्ट के मुताबिक, शेट्टी ने हाल ही में अपनी पार्टी के एकमात्र विधायक देवेंद्र भुयार को संगठन से निष्कासित कर दिया था. उन्होंने कहा था कि 2019 के चुनावों के परिणाम के बाद से, भुयार राकांपा नेताओं के साथ मिल रहे थे और उन्हें स्वाभिमानी पक्ष के मंच पर कभी नहीं देखा गया था.
पार्टी अधिवेशन में बोलते हुए शेट्टी ने कहा, “किसानों का हित एमवीए द्वारा तय किए गए न्यूनतम साझा कार्यक्रम का केंद्र बिंदु था. मेरी पार्टी भी इसका हिस्सा थी. हालांकि, पिछले ढाई वर्षों में, हमें बाढ़ के नुकसान के लिए उचित मुआवजे की मांग के लिए राज्य सरकार के खिलाफ विरोध करना पड़ा. हमें किसानों को भूमि अधिग्रहण मुआवजे को कम करने के सरकार के फैसले का विरोध करना पड़ा.”
उन्होंने दावा किया कि हर मुद्दे पर एमवीए सरकार ने किसानों को धोखा दिया है. उन्होंने कहा, “इसलिए, मैं एमवीए के साथ सभी संबंधों को तोड़ने की घोषणा करता हूं. इसके बाद, हम खेतों का दौरा करेंगे, किसानों से मिलेंगे और उन्हें अपनी स्थिति बताएंगे.”
शेट्टी ने जिला परिषद सदस्य के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी और दो बार सांसद बने थे. वह उन 12 व्यक्तियों में शामिल हैं, जिन्हें राज्यपाल के कोटे के तहत विधायक बनने की सिफारिश की गई। शेट्टी ने कहा, “मैं राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मेरा नाम सूची से हटाने के लिए कहूंगा.” 3 अप्रैल को कोल्हापुर की अपनी यात्रा के दौरान, राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा था कि गठबंधन से छोटे संगठनों की चिंताओं को देखना उनकी जिम्मेदारी है.