महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सोमवार को कहा कि वह सभी राजनीतिक जिम्मेदारियों से मुक्त होना चाहते है। उनका कहना है कि वो अब राज्यपाल की कुर्सी छोड़ना चाहते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने भी यह इच्छा व्यक्त की है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की मुंबई यात्रा के दौरान मैंने उन्हें सभी राजनीतिक जिम्मेदारियों से मुक्त होने और पढ़ने, लिखने और अन्य गतिविधियों में अपना बाकी बचे जीवन व्यतीत करने की इच्छा व्यक्त की है।”
उन्होंने कहा, “संतों, समाज सुधारकों और वीर सेनानियों की भूमि महाराष्ट्र जैसे महान राज्य के राज्य सेवक या राज्यपाल के रूप में सेवा करना मेरे लिए सम्मान और सौभाग्य की बात रही है।”
उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल साल से अधिक समय के दौरान महाराष्ट्र की जनता से जो प्यार और स्नेह मिला है मैं उसको कभी नहीं भूल सकता हूं। उन्होंने आगे कहा कि मुझे हमेशा पीएम मोदी से प्यार और स्नेह मिला है और इस बारे में भी मुझे इसी प्रकार की उम्मीद है। मालूम हो कि पीएम मोदी 19 जनवरी को कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने के लिए मुंबई में थे।
इस महीने की शुरुआत में राज्यपाल कोश्यारी ने एक कार्यक्रम में कहा था कि वह राज्यपाल बनने के बाद नाखुश हैं और उन्हें लगता है कि वह सही जगह पर नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा था कि उन्हें खुशी तभी महसूस होती है, जब संन्यासी राजभवन में आते हैं।
2019 में बने थे महाराष्ट्र के राज्यपाल
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को साल 2019 में महाराष्ट्र का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया था। उससे पहले कोश्यारी नैनीताल के सांसद भी रह चुके हैं। महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल सी रविशंकर का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन्हें यहां का नया राज्यपाल बनाया गया था।
विवादों से रहा है नाता!
80 वर्षीय कोश्यारी ने 9 सितंबर 2019 को महाराष्ट्र के 22वें राज्यपाल के रूप में पदभार संभाला। तब से उनके साथ महाविकास अघाड़ी (Maha Vikas Aghadi) यानी एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव गुट) की अनबन चल रही है। विपक्ष ने उनपर कई बार पक्षपात करने का आरोप भी लगाया है।
बता दें कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी शिवाजी महाराज, सावित्रीबाई फुले और महात्मा ज्योतिबा फुले जैसी ऐतिहासिक हस्तियों को लेकर दिए बयान से विवादों के घेरे में रह चुके हैं। राज्यपाल कोश्यारी ने शिवाजी महाराज को पुराने जमाने का हीरो बताया था, जिससे बखेड़ा खड़ा हुआ था। सूबे के विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (MVA) ने कोश्यारी को राज्यपाल के पद से हटाने के लिए मुहीम भी शुरू की थी।