कांजुरमार्ग कारशेड परियोजना मामले में नया मोड़
जिला कलेक्टर और एमएमआरडीए आयुक्त को नोटिस
केंद्र सरकार भी कूदी, राज्य के मुख्य सचिव को लिखा पत्र
अदालत की अवमानना का आरोप, काम बंद करने का निर्देश
मुंबई- आरे की जमीन पर सरकार की तिजोरी से सैकड़ों करोड़ रूपये खर्च होने के बावजूद जिस तरह से वहां से मेट्रो-3 कारशेड परियोजना को हटाकर कांजुरमार्ग लाया जा रहा है उसमें अब एक नया मोड़ आ गया है. राज्य और केंद्र सरकार में जारी दावे प्रतिदावे के बीच जमीन मालिक महेश गारोडिया ने अपने वकील के माध्यम से मुंबई उपनगरीय जिला कलेक्टर और एमएमआरडीए आयुक्त को कानूनी नोटिस भेजा है। नोटिस में उन्होंने कहा है कि अदालत के आदेश के बावजूद आपने बिना बताए कारशेड के लिए भूमि परीक्षण शुरू करने के लिए अनुमति कैसे दी है.
उल्लेखनीय है कि 16 अप्रैल 2016 को मुंबई सिटी सिविल कोर्ट ने गारोडिया की भूमि के पट्टे को रद्द करते हुए इस भूमि को एमएमआरडीए को सौंपने से मना करने का आदेश दिया था। गारोडिया ने नोटिस में अदालत के आदेश को याद दिलाते हुए कहा है कि इस जमीन पर एमएमआरडीए द्वारा लाई गई मशीनरी को अदालत के आदेश के सम्मान में हटा दिया जाना चाहिए नहीं तो यह अदालत की अवमानना होगा।
अब आदित्य के दावे पर सवाल
राज्य के पर्यावरण और पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे ने दावा किया था कि कांजुरमार्ग की जमीन महाराष्ट्र सरकार की है और हमारे पास इसके सभी सबूत हैं। आदित्य ठाकरे ने स्पष्ट किया था कि मेट्रो कारशेड का काम नहीं रुकेगा। उन्होंने ट्विटर पर यह भी बताया था कि संबंधित जमीन राजस्व विभाग की है और मुंबई उपनगरीय जिला कलेक्टर ने जमीन के मालिकाना हक़ संबंधी सभी न्यायिक पहलुओं को पूरा कर लिया है।
केंद्र सरकार का हस्तक्षेप
राज्य सरकार ने जब आरे से कांजुरमार्ग तक मेट्रो कारशेड को स्थानांतरित करने का निर्णय लिया था तो भाजपा ने सरकार के फैसले का विरोध किया था। कई दिनों तक इस मुद्दे पर चले आरोप प्रत्यारोप के बाद अब इसमें केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप करते हुए कांजुरमार्ग में मेट्रो कार शेड पर काम बंद करने का आदेश दिया था। केंद्र ने इस संबंध में राज्य के मुख्य सचिव को पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि वे एमएमआरडीए को जमीन देने के फैसले को रद्द कर दें क्योंकि कांजुरमार्ग की जमीन मिठागीर (नमक विभाग) की है. और इसे अभी अधिकार मुक्त नहीं किया गया है। पत्र में कहा गया कि कांजुरमार्ग पर मेट्रो कारशेड पर काम तत्काल रोका जाना चाहिए। अब जमीन के मालिकाना हक़ का दावा करने वाले जिला कलेक्टर को नोटिस भेजा गया है जिससे एक नया विवाद पैदा हो गया है।