महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Maharashtra CM Uddhav Thackeray) ने मंगलवार को ‘आषाढी एकादशी‘ (Ashadhi Ekadashi) के अवसर पर सोलापुर (Solapur) जिले के पंढरपुर शहर के एक मंदिर में भगवान विट्ठल और देवी रुक्मिणी की ‘महा पूजा‘ की और उन्होंने भगवान से कोविड-19 संकट की समाप्ति और राज्य में सभी के अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना की। लंबे समय से चली आ रही परंपरा के अनुसार, मुख्यमंत्री ने देर रात ढाई बजे अपनी पत्नी रश्मि ठाकरे के साथ पूजा की.
एकादशी ‘वारी’ नामक तीर्थयात्रा की समाप्ति का प्रतीक है. इस यात्रा के तहत श्रद्धालु राज्य भर से पैदल मंदिर नगरी पंढरपुर पहुंचते हैं. ‘आषाढ़ी एकादशी’ एक अहम हिंदू उत्सव है. बहरहाल, कोविड-19 महामारी के कारण राज्य सरकार ने पिछले साल से इस यात्रा को करने की इजाजत नहीं दी है।
संत-कवि ज्ञानेश्वर और संत तुकाराम की पादुकाएं लेकर पालकियां सोमवार को पुणे जिले से पंढरपुर के लिए रवाना हुई. फूलों से सजी बस में सीमित संख्या में ‘वारकरी’ सवार थे. पूजा करने बाद ठाकरे ने कहा, ‘पंढरपुर में श्रद्धा का समुद्र हो और वारकरियों को फिर से पैदल ‘वारी’ करने की अनुमति दी जाए, इसके लिए, मैंने भगवान विट्ठल से कोविड-19 को खत्म करने और राज्य के लोगों को अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद देने की प्रार्थना की. इस मौके पर उनके बेटे और राज्य के मंत्री आदित्य ठाकरे भी मौजूद थे.
हर साल, मुख्यमंत्री के साथ आधिकारिक पूजा करने के लिए एक वारकरी जोड़े को चुना जाता है। वारकरी दंपति केशव कोलटे और इंदुबाई कोलटे को ठाकरे परिवार के साथ अनुष्ठान करने का मौका मिला। मुख्यमंत्री ने कहा कि लंबी दूरी तय करके पैदल पंढरपुर आने के लिए श्रद्धा और आत्मविास की जरूरत है, ’और वह आत्मविश्वास चुनौतियों से पार पाने में मदद करता है।’
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर साल इस दिन लाखों वारकरी यहां आते थे, लेकिन उनमें से कई मंदिर के गर्भगृह में ‘दर्शन‘ के लिए भी नहीं जा पाते थे और उन्हें बाहर से ही मंदिर के दर्शन करके घर लौटना पड़ता था। उन्होंने कहा, ‘‘ यह श्रद्धा ही है जो उन्हें यहां पैदल लेकर आती है और एक मजबूत नींव प्रदान करती है जिस पर राज्य और राष्ट्र खड़े होते हैं।’’ उन्होंने कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि उन्हें पंढरपुर आने और ‘महा पूजा‘ करने का मौका मिला।
मंदिर के गर्भगृह की संरचना की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने सोलापुर जिले के अभिभावक मंत्री दत्तात्रेय भरणो से इस विरासत को दुनिया को दिखाने को कहा और इसके लिए एक परियोजना शुरू करने का सुझाव दिया। मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की ओर से पंढरपुर नगर परिषद को पांच करोड़ रुपये का चेक सौंपा।
बता दें कि भगवान विठ्ठल को भगवान विष्णु और कृष्ण का अवतार कहा जाता है। विठ्ठल भगवान की पूजा महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक, गोवा,और आन्ध्रा में की जाती है। विट्ठल भगवान का मुख्य मंदिर महाराष्ट्र के पंढरपुर में स्थित है, इनकी पत्नी का नाम रखुमाई है। पंढरपुर को भक्त ‘भु-वैकुंठ’ अर्थात पृथ्वी पर भगवान विष्णु का निवास स्थान मानते हैं। भक्तों की मान्यता है कि भगवान विठ्ठल के मंदिर से कोई खाली हाथ नहीं लौटता।