राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता नवाब मलिक (NCP Leader Nawab Malik) की अर्जी पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सहमत हो गई है. मलिक ने बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) के फैसले के खिलाफ यह अर्जी लगाई है.
उच्चतम न्यायालय ने मनीलॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक की रिहाई की मांग संबंधी उनकी याचिका पर शीघ्र सुनवाई की गुहार बुधवार को स्वीकार कर ली. मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने मलिक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की दलीलें सुनने के बाद मामले को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया.
सिब्बल ने ‘विशेष उल्लेख’ के दौरान पीठ के समक्ष शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई. उन्होंने कहा कि उन्हें (नवाब मालिक) अवैध तरीके से गिरफ्तार किया गया है. प्रवर्तन निदेशालय ने जिस कानून के तहत गिरफ्तार किया था, वह 2005 में लागू किया गया था लेकिन उन पर लगाए गए आरोप 2000 के पहले के लेन-देन से जुड़े हुए हैं. मुख्य न्यायाधीश ने मलिक की शीघ्र सुनवाई की अर्जी स्वीकार करते हुए कहा, “हां हम इसे सूचीबद्ध करेंगे.”
इससे पहले नवाब मलिक ने इसी तरह की याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट में लगाई थी. वहां उन्होंने कहा कि उनकी गिरफ्तारी और उन्हें रिमांड पर भेजा जाना दोनों ही गैरकानूनी है. लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज करते हुए कहा था कि ईडी ने कानून के मुताबिक ही मलिक को गिरफ्तार किया है. उसी के अनुसार ईडी को उनकी रिमांड दी गई और फिर न्यायिक हिरासत में भेजा गया. मलिक ने हाईकोर्ट के इस फैसले को ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिक को ईडी ने इसी साल 23 फरवरी को गिरफ्तार किया था. उन पर आरोप है कि उनके संबंध माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) से हैं. उसकी मदद से उन्होंने मुंबई के कुर्ला में मुनीरा प्लंबर की संपत्ति हड़प ली. इस संपत्ति का वर्तमान बाजार मूल्य करीब 300 करोड़ रुपये है. जबकि मलिक की दलील है कि उन्होंने मुनीरा से यह संपत्ति 30 साल पहले कानूनी तौर पर खरीदी थी. हालांकि बाद में इस लेन-देन को लेकर मुनीरा का मन बदल गया था.