महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना गठबंधन की सरकार चल रही है। उद्धव ठाकरे इस सरकार के मुखिया हैं। महाराष्ट्र के सियासी गलियारों से तीनों दलों के बीच तकरार की खबरें लगातार आती रही हैं। अब खबर आ रही है कि महाराष्ट्र के कम से कम 25 कांग्रेस विधायकों ने महा विकास अघाड़ी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
उन्होंने कांग्रेस के मंत्रियों के खिलाफ ही शिकायत करने के लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने का समय मांगा है। उनका आरोप है कि उनकी ही पार्टी के मंत्री उनकी चिंताओं का जवाब नहीं दे रहे हैं। विधायकों ने एक पत्र में सोनिया गांधी से ‘चीजों को ठीक करने’ के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ विधायकों ने कहा है कि एमवीए में मंत्री, विशेष रूप से कांग्रेस के मंत्री, उनकी बात नहीं सुन रहे हैं। उनमें से एक ने कहा, “अगर मंत्री विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में काम को लागू करने के अनुरोधों की अनदेखी करते हैं, तो पार्टी चुनावों में अच्छा प्रदर्शन कैसे करेगी?”
ढाई साल बाद पता चला कि तीन विधायकों के लिए एक मंत्री
पार्टी में समन्वय की कमी जाहिर करते हुए कांग्रेस विधायकों ने कहा कि उन्हें गत सप्ताह ही पता चला कि कांग्रेस के तीन विधायकों के साथ समन्वय के लिए एक मंत्री तैनात किया गया है। एक अन्य कांग्रेस विधायक ने कहा कि यह बात हमें तब पता चली जब एचके पाटिल ने हाल ही में एक बैठक में यह जानकारी दी। यह अघाड़ी सरकार बनने के कुछ माह बाद किया गया था, लेकिन हमें इसके बारे में 2.5 साल बाद पता चला। अब भी हमें नहीं पता है कि हमारे साथ कौनसा मंत्री समन्वय करेगा।
महाराष्ट्र में हाशिये पर चली जाएगी कांग्रेस
कांग्रेस के कुछ अन्य विधायकों ने कहा कि हम राकांपा से पिछड़ रहे हैं, क्योंकि क्योंकि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार अपनी पार्टी के विधायकों से नियमित रूप से मिलते हैं, धन आवंटित करते हैं और उनकी शिकायतें सुनते हैं। कांग्रेस के एक अन्य विधायक ने कहा कि राकांपा हम पर हमला कर रही है। राकांपा मंत्रालयों को अधिक धन आवंटित किया जाता। अगर चीजें ऐसे ही चलती रहीं तो महाराष्ट्र में भी कांग्रेस अन्य राज्यों की तरह हाशिए पर चली जाएगी। पंजाब की तरह पार्टी महाराष्ट्र में भी बेकार बैठी रहती है तो यहां भी ऐसा ही होगा।