शिवसेना (Shiv Sena) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर से बागी नेताओं पर निशाना साधा हैं. उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को पार्टी के बागी नेताओं की तुलना पेड़ के ‘सड़े हुए पत्तों’ से की. उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद पता चल जाएगा कि लोग किसका समर्थन करते हैं.
मुख्यमंत्री पद से पिछले महीने इस्तीफा देने के बाद शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के साथ पहले साक्षात्कार में उद्धव ने कहा कि पार्टी के कुछ नेताओं पर भरोसा करना उनकी गलती थी. उद्धव ने कहा, ‘ये विद्रोही पेड़ के सड़े हुए पत्तों की तरह हैं और इन्हें गिर ही जाना चाहिए. यह पेड़ के लिए अच्छा होता है, क्योंकि इसी के बाद नए पत्ते उगते हैं.’
बागी नेताओं का दावा है कि वे असली शिवसेना का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस बारे में उद्धव ने कहा कि चुनाव होने दीजिए और फिर देखते हैं कि लोग किसे चुनते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘लोग या तो हमारे पक्ष में मतदान करेंगे या फिर उन्हें वोट देंगे. यह हमेशा के लिए स्पष्ट हो जाएगा.’
अपने इंटरव्यू में उद्धव ठाकरे ने कहा, “शिवसेना का किशोरों और युवाओं के साथ नाता, शिवसेना के जन्म से ही है. अलबत्ता, अभी भी बड़ी संख्या में वरिष्ठ शिवसैनिक आकर मिल रहे हैं. जिन्होंने बालासाहेब के साथ काम किया है, जिन्हें हम पहली पीढ़ी का कहेंगे. जिन्होंने शिवसेना का संघर्ष देखा है. खुद संघर्ष किया है. उन्हें शिवसेना मतलब क्या है, यह ठीक से पता है. उन्हें शिवसेना से कुछ हासिल करने की अपेक्षा नहीं थी और आज भी नहीं है. परंतु वे आकर आशीर्वाद दे रहे हैं. यही आशीर्वाद शिवसेना को बल देगा।”
उद्धव ठाकरे ने कहा कि, ‘सरकार चली गई, मुख्यमंत्री पद गया, इसका अफसोस नहीं है, पर मेरे लोग दगाबाज निकले. मेरे ऑपरेशन के बाद की अस्वस्थ्यता के दौरान सरकार गिराने का प्रयास हो रहा था, इस बात की पीड़ा जरूर है.”
बागियों पर इशारों-इशारों में निशाना साधते हुए उद्धव ने कहा कि हां, सड़े हुए पत्ते झड़ रहे हैं. जिन्हें वृक्ष से सब कुछ मिला, सभी रस मिले इसीलिए वे तरोताजा थे. वे पत्ते वृक्ष से सारा कुछ लेने के बाद भी झड़कर गिर रहे हैं और यह देखिए वृक्ष कैसे उजड़ा-निर्जीव हो गया है, ये दिखाने का वे प्रयत्न कर रहे हैं. परंतु अगले ही दिन माली आता है और पतझड़ से गिरे पत्तों को टोकरी में भरकर ले जाता है.”
उद्धव ने आगे कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि मैंने शिवसेना के कुछ कार्यकर्ताओं और नेताओं पर बहुत अधिक विश्वास कर लिया. इतने लंबे समय तक उन पर भरोसा करना मेरी गलती है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा ने जिस प्रकार सरदार पटेल की विरासत को कांग्रेस से पृथक करने की कोशिश की, उसी तरह वह शिवसेना की स्थापना करने वाले मेरे दिवंगत पिता बालासाहेब ठाकरे और पार्टी का नाता तोड़ने का प्रयास कर रही है.”
उद्धव ठाकरे ने बीजेपी के साथ अपने रिश्ते पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि ‘शिवसेना के साथ तय हुआ था, ढाई-ढाई वर्ष का मुख्यमंत्री पद…वही तो आपने अब किया है और यह यदि उस समय किया होता तो कम-से-कम पांच वर्षों में भारतीय जनता पार्टी को एक बार तो ढाई वर्षों का मुख्यमंत्री पद मिला होता…यह जो कुछ अभी स्वांग रच रहे हैं, ढोंग कर रहे हैं कि हमने शिवसेना को मुख्यमंत्री पद दिया, वो करना नहीं पड़ता और अब वे कह रहे हैं कि ‘हमारी’ शिवसेना यह शिवसेना नहीं है…यह सब तोड़ फोड़ करने के बाद भी उन्हें समाधान नहीं हो रहा क्योंकि उन्हें शिवसेना को खत्म करना है.
भाजपा ने आज जो किया है, वही मुझसे हुई चर्चा के आधार पर उसी समय किया होता तो सब कुछ सम्मानजनक हो गया होता. यदि हमने महाविकास आपाड़ी बनाकर गलती की होगी तो लोग हमें घर पर बिठा देंगे. आखिर जनता मुझे पहचानती ही है. लगातार हमारी छठी पीढ़ी महाराष्ट्र की जनता के लिए काम कर रही है.” बता दें कि महाराष्ट्र की राजनीति का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. अब ये जंग सीएम एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे की शिवसेना की लड़ाई के लिए है.