भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस का पंजाब सरकार बेहद सख्ती से पालन कर रही है. आम आदमी पार्टी की सरकार चला रहे मुख्य्मंत्री भगवंत मान ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रहे डॉ. विजय सिंगला को कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया गया है। उनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है।
पंजाब सीएमओ ने बताया है कि विजय सिंगला के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और इस संबंध में सबूत भी पाए गए थे। पंजाब के सीएमओ ने कहा, ‘उन पर आरोप है कि ठेकों के एवज में उन्होंने अधिकारियों से एक पर्सेंट कमीशन की मांग की थी। विजय सिंगला के खिलाफ ठोस सबूत भी पाए गए हैं।’ इसके बाद भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने विजय सिंगला को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं सूत्रों के अनुसार, आम आदमी पार्टी से भी सिंगला के निष्कासन की तैयारी की जा रही है।
शुरूआती जांच में सामने आया है कि स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंगला अधिकारियों से ठेके पर एक पर्सेंट कमीशन की मांग कर रहे थे। जिसके लेकर सरकार के पास लगातार उनकी शिकायतें आ रही थीं। मंत्री के खिलाफ शिकायतें मिलने के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अभूतपूर्व कदम उठाया। भगवंत मान ने कहा कि जनता ने बहुत उम्मीदों से आम आदमी पार्टी की सरकार बनाई है, उस उम्मीद पर खरा उतरना हमारा कर्तव्य है। एक प्रतिशत भ्रष्टाचार भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंगला टेंडर के नाम पर कमीशन मांग रहे थे। इसके बारे में विरोधी पार्टियों और मीडिया को पता नहीं था। जबकि इस बारे में मुझे जानकारी लग गई थी। चाहता तो केस को दबा सकता था, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। क्योंकि जनता के साथ धोखा नहीं करेंगे। वहीं, मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने के बाद पुलिस को उसके खिलाफ केस दर्ज करने के लिए आदेश दे दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, मैं उस मंत्री के खिलाफ सख्त एक्शन लूंगा.
मान ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने वचन लिया था कि भ्रष्टाचार के सिस्टम को जड़ से उखाड़ फेंकेंगे, हम सब उनके सिपाही हैं। 2015 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने एक मंत्री को भ्रष्टाचार के मामले में बर्खास्त किया था। आज देश में ऐसा दूसरी बार हो रहा है। वहीं सूत्रों के अनुसार, मंत्री ने अपनी गलती मान ली है।
गौरतलब है कि विजय सिंगला को पंजाब मानसा से जीत मिली थी और यह 30 सालों में पहला मौका था, जब इस सीट से जीतने वाले विधायक को मंत्री बनाया गया था। लेकिन सरकार गठन के महज दो महीने के भीतर ही उन्हें पद से हटना पड़ा है। उन्हें विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी जीत हासिल हुई थी।