पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के 1988 के रोड रेज मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। करीब 33 साल पुराने सड़क दुर्घटना के मामले (Road Rage Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को उस याचिका पर सुनवाई की जिसमें नवजोत सिंह सिद्धू को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराने और तीन साल की सजा सुनाने के फैसले पर दोबारा विचार करने का आग्रह किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू से उनके खिलाफ 33 साल से अधिक पुराने इस रोड रेज केस में रिव्यू पिटिशन का दायरा बढ़ाने की मांग वाली याचिका पर जवाब देने को कहा है. न्यायमूर्ति एसके कौल की अगुआई वाली एक पीठ ने सिद्धू से पीड़ित परिवार की उस याचिका पर जवाब देने को कहा, जिसमें कहा गया था कि उनके अपराध को सिर्फ चोट पहुंचाने से ज्यादा गंभीर माना जाए और उसके अनुसार उसकी सजा बढ़ाई जाए.
बेंच ने मामले की दो हफ्ते बाद आगे की सुनवाई निर्धारित की है. सिद्धू की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम ने पुनर्विचार याचिका का दायरा बढ़ाने के अदालत के फैसले का विरोध किया.
सुप्रीम कोर्ट ने 3 फरवरी को उस याचिका पर सुनवाई टाल दी थी जिसमें 1988 के रोड रेज मामले में सिद्धू को 1,000 रुपये के जुर्माने से मुक्त करने के अपने 2018 के आदेश की समीक्षा की मांग की गई थी. इस मामले में गुरनाम सिंह नामक व्यक्ति की मौत हो गई थी.
रोडरेड का मामला 27 दिसंबर, 1988 का है। नवजोत सिंह सिद्धू पटियाला में कार से जाते हुए गुरनाम सिंह नाम के एक बुजुर्ग से भिड़ गए थे। गुस्से में नवजोत सिद्धू ने उन्हें मुक्का मार दिया, जिसके बाद गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी। पटियाला पुलिस ने सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर सिंह के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया था।
निचली अदालत ने नवजोत सिंह सिद्धू को सुबूतों के अभाव में 1999 में बरी कर दिया था, लेकिन पीडि़त पक्ष पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट पहुंच गया। साल 2006 में हाई कोर्ट ने सिद्धू को तीन साल की सजा सुनाई थी। इस फैसले को सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।