उत्तर प्रदेश के नोएडा में सुपरटेक के ट्विन टावर रविवार को ढहा दिए गए हैं। इसके लिए बीते कई दिनों से तैयारियां चल रही थीं। न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया की निगाहें इन इमारतों पर टिकी रहीं। एक्सप्लोजन जोन में 560 पुलिसकर्मी, रिजर्व फोर्स के 100 लोग और 4 क्विक रिस्पांस टीम समेत एनडीआरएफ टीम तैनात है। दोनों टावर कुतुब मीनार से भी ऊंचे थे और इन्हें 15 सेकंड से भी कम समय में ‘वाटरफॉल इम्प्लोजन’ तकनीक से ढहा दिया गया। अधिकारियों ने कहा कि ये भारत में अब तक की सबसे ऊंची संरचनाएं हैं, जिन्हें ध्वस्त किया गया है। इमारतों को गिराने के लिए हरियाणा के पलवल से लाए गए करीब 3700 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ। तो चलिए अब नंबरों के जरिए इस मामले से जुड़ी 10 बड़ी बातें जान लेते हैं-ट्विन टावर में से प्रत्येक में 40 मंजिल बनाने की योजना थी। इनमें से कुछ कोर्ट के फैसले के कारण बन नहीं सकीं, कुछ को अंतिम बार ढहाए जाने से पहले ही तोड़ दिया गया। इनमें एपेक्स में 32 और सियान टावर में 29 मंजिल हैं। कुल 915 फ्लैटों में से लगभग 633 बुक किए गए थे और कंपनी ने होमबॉयर्स (जो लोग इन्हें खरीद रहे थे) से लगभग 180 करोड़ रुपये एकत्र किए। अब कंपनी को इन लोगों के पैसे 12 फीसदी ब्याज के साथ लौटाने को कहा गया है।
ट्विवन टावर की एपेक्स इमारत की लंबाई 103 मीटर थी, जबकि साइन की लंबाई 97 मीटर थी। टावर के विध्वंस में शामिल कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग के प्रोजेक्ट मैनेजर मयूर मेहता ने शनिवार को कहा था कि तीन विदेशी विशेषज्ञों, भारतीय विध्वंसक चेतन दत्ता, एक पुलिस अधिकारी और खुद मेहता सहित केवल छह लोग विस्फोट के लिए बटन दबाने के लिए निषिद्ध क्षेत्र में रहेंगे।
दो इमारतों के बीच की दूरी 18 मीटर होनी चाहिए। लेकिन इन ट्विन टावरों के बीच की दूरी 8 मीटर थी। जबकि आसपास की दूसरी इमारतें ट्विन टावर से महज 9 मीटर की दूरी पर भी बनी हैं। इन्हें धूल से बचाने के विशेष तरह के कपड़े से ढंका गया है।
: इतने समय तक धूल का गुबार छाया रहेगा। अगर हवा की गति सामान्य नहीं रहती, तो मामला थोड़ा अलग हो सकता है। उसके बाद मजदूर आसपास की इमारतों की जांच करने के लिए आगे बढ़ेंगे और तुरंत मलबे से जुड़ा काम करने लगेंगे। मलबे को साफ होने में तीन महीने से अधिक समय लगेगा। कुल 55,000 टन (या 3,000 ट्रक) मलबा निकलेगा।
30 एमएम प्रति सेकंड: विस्फोट के बाद उसकी कंपन 30 मीटर तक महसूस की जाएगी, लेकिन केवल कुछ सेकंड के लिए ऐसा होगा। यह लगभग 30 मिमी प्रति सेकंड पर होगी। सरल शब्दों में यह रिक्टर पैमाने पर 0.4 तीव्रता के भूकंप के बराबर है। नोएडा में नियमित रूप से छोटे-छोटे झटके आते हैं। वहीं ये इमारतें रिक्टर स्केल पर 6 की तीव्रता के भूकंप का सामना कर सकती हैं।