ताजमहल को लेकर दायर की गई याचिका पर आज, 12 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई. ताजमहल की सुनवाई को लेकर हाइकोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमकर फटकार लगाई है. हाई कोर्ट ने कहा कि जनहित याचिका (पीआईएल) का मजाक न बनाएं. यह भी कहा कि कल आप आएंगे और कहेंगे कि हमें माननीय जज के चेंबर में जाने की इजाजत चाहिए.
जज डीके उपाध्याय ने याचिकाकर्ता से कहा कि पहले रिसर्च करो कि ताजमहल का निर्माण किसने किया था, पहले इस मसले पर रिसर्च करो. यूनिवर्सिटी जाकर इस विषय पर जानकारी एकत्र करो. पीएचडी करो और यदि कोई रोके तो हमारे पास आना. उन्होंने याचिकाकर्ता से कहा कि इस विषय पर पहले जानकारी हासिल करो.
याचिकाकर्ता से हाई कोर्ट ने कहा कि आप मानते हैं कि ताजमहल को शाहजहां ने नहीं बनाया है? क्या हम यहां कोई फैसला सुनाने आए हैं? जैसे कि इसे किसने बनवाया था या ताजमहल की उम्र क्या है? आपको जिस बारे में पता नहीं है, उस पर रिसर्च करिए। जाइए एमए कीजिए, पीएचडी कीजिए, अगर आपको कोई संस्थान रिसर्च करने से रोक रहा है तो फिर हमारे पास आइए. हाई कोर्ट ने कहा कि आपने ताजमहल के 22 कमरों की जानकारी किससे मांगी?
इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि हमने अथॉरिटी से जानकारी मांगी थी. तब हाई कोर्ट ने कहा कि यदि उन्होंने कहा है कि सुरक्षा कारणों से कमरे बंद हैं तो यह जानकारी है. यदि आप इससे संतुष्ट नहीं हैं तो इसे चुनौती दें.
बीजेपी सांसद दीया कुमारी कर चुकीं है दावा
दरअसल, जयपुर के पूर्व राजघराने की सदस्य और बीजेपी सांसद दीया कुमारी ने दावा किया है कि ताजमहल जयपुर राजपरिवार की जमीन पर बना हुआ है. उन्होंने जरुरत पड़ने पर इसके दस्तावेज भी उपलब्ध कराने की बात कही है. बीजेपी सांसद ने ताजमहल के बंद कमरों को खोलकर उनकी जांच कराने की भी मांग की है.
सांसद दीया कुमारी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि उस समय उनका शासन काल था. उनको जमीन अच्छी लगी तो उन्होंने इसे एक्यवार कर लिया. लेकिन आज भी कोई जमीन सरकार एक्वायर करती है तो मुआवजा देती है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि, इसके बदले में मुआवजा दिया था. लेकिन उस वक्त ऐसा कोई कानून नहीं था कि अपील की जा सके. कोई विरोध किया जा सके. उन्होंने कहा कि, अच्छा है लोग अब इसे लेकर सामने आ रहे हैं और बात कर रहे हैं.
दरअसल, ताजमहल में बने 22 कमरों को खोलने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें दावा किया गया है कि कई सालों से बंद इन कमरों में हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां और शिलालेख मौजूद हैं. फिलहाल, आज इस याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई चल रही है