उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के सहारनपुर (Saharanpur) जिले में ग्लोकल मेडिकल कॉलेज के MBBS के 12 छात्रों ने भारत के राष्ट्रपति (President Of India) को ज्ञापन भेज कर इच्छा मृत्यु (Euthanasia) की मांग की है.
ग्लोकल मेडिकल कॉलेज की मान्यता रद्द होने के कारण मेडिकल के छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. सालों तक कॉलेज के छात्र शिक्षा ग्रहण करते रहे, मगर अब तक कॉलेज को मान्यता नहीं मिली है. कहीं से इंसाफ नहीं मिलने के कारण मंगलवार को कलेक्ट्रेट पहुंच सिटी मजिस्ट्रेट को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंप कर इन छात्रों ने इच्छा मृत्यु की मांग की. छात्रों का आरोप है कि बिना मान्यता के ही छात्रों को अंधकार में रखकर लाखों रुपए की फीस ले ली गई.
दरअसल, सहारनपुर जनपद में बसपा सरकार में एमएलसी व खनन कारोबारी रहे मोहम्मद इकबाल की यह ग्लोकल यूनिवर्सिटी है, जिसे मान्यता नहीं मिलने के कारण अब छात्रों का भविष्य अंधकार में लटक गया है और छात्र राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग कर रहे हैं.
सिटी मजिस्ट्रेट को दिए ज्ञापन में कहा गया है कि नीट क्वालीफाई करने के बाद वर्ष 2016 में 66 छात्रों ने सहारनपुर के ग्लोकल मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में एडमिशन लिया था. छात्रों का दावा है कि एडमिशन से पहले छात्रों की काउंसिलिंग भी हुई. तीन महीने बाद ही एमसीआई ने मान्यता रद्द कर दी. लेकिन इसकी सूचना छात्रों को नहीं देकर कॉलेज प्रशासन लगातार पांच साल तक पढ़ाई कराता रहा.
छात्रों ने अधिकारियों और शासन तक चक्कर लगाए, लेकिन छात्रों के लिए कोई रास्ता नहीं निकला। 66 में से 12 छात्रों ने इच्छा मृत्यु मांगी और ज्ञापन राष्ट्रपति को संबोधित कलक्ट्रेट में सिटी मजिस्ट्रेट विवेक चतुर्वेदी को सौंपा. इच्छा मृत्यु मांगने वालों में शिवम शर्मा, विभोर, शिवानी राणा, रिजवान, सदफ, सामिया, विग्नेश, राहुल राज, एश्वर्या, अरविंद राज आदि शामिल हैं.
यूनिवर्सिटी आज भी पढ़ाना चाहती है : वाइस चांसलर
बता दें कि ग्लोकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर अखिल अहमद ने बताया कि यह मामला पहले भी कोर्ट में जा चुका है, जहां पर यह निरस्त हो गया था. ऐसे में जो भी छात्र हैं उनको यूनिवर्सिटी पहले भी पढ़ाना चाहती थी और आज भी पढ़ाना चाहती है. वहीं. यूपी शासन ने इन्हीं छात्रों की शिकायत पर हमारी एनओसी निरस्त की है. उसके बाद वो अपना ट्रांसफर कराने के लिए आते हैं. फिलहाल इस मामले में छात्र हाई कोर्ट इलाहाबाद फिर उसके बाद सुप्रीम कोर्ट भी गए, जहां से इनका मुकदमा खारिज हो चुका है. उसके बाद भी ग्लोकल यूनिवर्सिटी इन छात्रों के साथ है.