जोशीमठ में जमीन धंसने का सिलसिला जारी है. शुक्रवार को 14 और घरों में दरारें आई हैं। अब दरार वाले घरों की संख्या बढ़कर 863 हो गई है. वहीं 181 घरों को पूरी तरह से असुरक्षित घोषित किया गया है. बद्रीनाथ धाम को जाने वाला बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग भी भू-धंसाव की चपेट में आता जा रहा है.
एक तरफ जहां दरारों वाले भवनों की संख्या बढ़कर 863 हो गई है, तो वहीं अब बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग भी भू-धंसाव की चपेट में आता जा रहा है. लाखों हिंदुओं की आस्था के केंद्र बद्रीनाथ की ओर जाने वाले एकमात्र रास्ते के कई हिस्सों में एक से दो मीटर तक दरारें आई हैं. सरकार फिलहाल मार्ग की मरम्मत की बात कर रही है, लेकिन यात्रा शुरू होने से पहले मार्ग को सुचारू रखना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी. बद्रीनाथ हाईवे धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामरिक ²ष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है. हाईवे पर आईं बड़ी-बड़ी दरारें सरकार की चिंता को ओर बढ़ा रही है.
सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने कहा कि, जोशीमठ में बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग के धंसाव पर शासन-प्रशासन पूरी नजर बनाए हुए हैं. संबंधित एजेंसियों को रास्ते की मरम्मत के निर्देश दिए गए हैं. यात्रा से पहले मार्ग को पूरी तरह से दुरूस्त कर दिया जाएगा.
दूसरी तरफ चिंता ये है कि, अगर दरारें नहीं थमीं तो हाईवे का एक बड़ा हिस्सा जमींदोज हो सकता है. ऐसे में बदरीनाथ धाम की राह बाधित होने के साथ ही भारतीय सेना का चीन सीमा से संपर्क भी कट सकता है. क्षेत्र का दौरा कर लौटे भू-विज्ञानी प्रो. एमपीएस बिष्ट ने बताया कि हाईवे पर दरारों का पैटर्न समानांतर है. इसके अलावा सड़क के किनारे धंस रहे विशालकाय पत्थर भी चिंता को बढ़ा रहे हैं.
सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. सिन्हा ने बताया कि प्रभावित किरायेदारों को भी 50 हजार रुपये की सहायता राशि सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जा रही है. उन्होंने कहा कि अब तक प्रभावित आठ किरायेदारों को 50 हजार रुपये प्रति परिवार के हिसाब से चार लाख रुपये की धनराशि तत्काल सहायता के रूप में दी गई है. ध्वस्त किए जाने वाले भवनों की संख्या और बढ़ सकती है.
सीबीआरआई की ओर से सर्वेक्षण का काम पूरा होने के बाद इनकी सूची जारी की जाएगी. शुक्रवार को हुई बारिश और बर्फबारी के बाद जेपी कॉलोनी में हो रहे भूजल रिसाव की गति भी बढ़ गई है. एक दिन पहले यहां 150 एलपीएम (लीटर प्रति मिनट) रिसाव हो रहा था, जो शुक्रवार को 250 एलपीएम दर्ज किया गया.
आपदा प्रबंधन सचिव ने बताया कि मौसम के बदले रुख को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर राहत शिविरों के सभी कमरों में हीटर और बाहर अलाव की व्यवस्था कर दी गई है. उन्होंने बताया कि डेढ़ लाख रुपये प्रति परिवार के हिसाब से अब तक 218 परिवारों को तीन करोड़ 27 लाख रुपये की सहायता राशि उपलब्ध करा दी है.
अस्थायी रूप से चिन्हित राहत शिविरों में जोशीमठ में कुल 650 कमरों में 2919 लोगों और पीपलकोटी में 491 कमरों 2205 लोगों को ठहराने की व्यवस्था की गई है. जोशीमठ में राहत शिविरों में कमरों की संख्या 615 से बढ़ाकर 650 कर दी गई है. उन्होंने बताया कि चार वाडरें में 181 भवन असुरक्षित क्षेत्र में स्थित हैं। यहां के 269 परिवार सुरक्षा के नजरिए से अस्थायी रूप से विस्थापित किए गए हैं. विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या बढ़कर अब 900 हो गई है.