अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद देश छोड़कर भागने वाले पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) के भाई ने भी अब अफगानियों को धोखा दे दिया है. हशमत गनी (Hashmat Ghani) ने कथित तौर पर तालिबान से हाथ मिलाया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, हशमत गनी ने तालिबानी नेता खलील-उर-रहमान (Khalil-ur-Rehman) और धार्मिक नेता मुफ्ती महमूद जाकिर (Mufti Mahmood Zakir) की उपस्थिति में आतंकवादी समूह के लिए अपने समर्थन की घोषणा की है.
यह खबर जहां एक ओर अशरफ गनी के लिए बड़ा झटका है, वहीं तालिबान के लिए किसी गुड न्यूज से कम नहीं है. काबुल में तालिबान के कब्जे के बाद से ही फरार अशरफ गनी संयुक्त अरब अमीरात में डेरा जमाए हुए हैं. साथ ही अशरफ गनी वतन वापसी को लेकर बातचीत कर रहे हैं.
अशरफ गनी इस समय अपने परिवार के साथ संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में हैं. काबुल न्यूज ने बुधवार को कई ट्वीट कर जानकारी दी थी कि काबुल से भागने के बाद गनी यूएई के अबू धाबी में सेटल हो गए हैं. पहले वह पड़ोसी देश ताजिकिस्तान गए थे लेकिन यहां उनके विमान को लैंडिंग की अनुमति नहीं दी गई. गनी ने बाद में अपने देश छोड़कर जाने का बचाव भी किया और कहा कि उनके पास और कोई विकल्प नहीं था और वह ‘देश के भविष्य के लिए विकास योजनाओं में योगदान देना जारी रखेंगे’.
अफगानिस्तान के नाम संदेश में अशरफ गनी ने कहा था कि उन्हें उनकी इच्छा के खिलाफ देश से बेदखल किया गया. भगोड़ा कहने वालों को उनके बारे में जानकारी नहीं है. अशरफ गनी ने कहा कि सुरक्षा वजहों से मैं अफगानिस्तान से दूर हूं. अगर मैं वहां रहता तो काबुल में कत्लेआम मच जाता. किसी अनहोनी से बचने के लिए मैंने देश छोड़ा है.
अशरफ गनी पर लगे आरोप
अशरफ गनी (Ashraf Ghani) पर आरोप लगे कि वह तालिबान को काबुल सौंपने के बाद 15 अगस्त को चार कार और एक हेलीकॉप्टर में ढेर सारा कैश भरकर देश से भाग गए. सोमवार को रूसी दूतावास की प्रवक्ता निकिता इशचेंको ने बताया था, ‘शासन का पतन… यही बात बताती है कि कैसे गनी अफगानिस्तान से भाग गए. चार कारें पैसे से भरी हुई थीं, उन्होंने पैसे के दूसरे हिस्से को हेलीकॉप्टर में डालने की कोशिश की, लेकिन सबकुछ उसमें फिट नहीं हुआ. और कुछ पैसा नीचे भी गिर गया.’
हालांकि, यूएई से अफगानिस्तान के नाम संदेश में गनी ने इन अफवाहों को बकवास बताते हुए कहा कि वह जूते तक नहीं बदल पाए और सैंडल में ही रविवार रात को काबुल स्थित राष्ट्रपति भवन से निकले. गनी ने कहा कि अगर मैं वहीं रहता तो एक बार फिर अफगानिस्तान के एक चुने हुए राष्ट्रपति को अफगानों की आंखों के सामने फांसी पर लटका दिया जाता. गनी पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नजीबुल्लाह के संदर्भ में ऐसा कह रहे थे, जिनका शव 27 सितंबर 1996 को काबुल में एक खंभे से लटका मिला था.
सालेह ने खुद को किया राष्ट्रपति घोषित
अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह (Amrullah Saleh) ने बाद में खुद देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर दिया. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि संविधान के अनुसार, अगर राष्ट्रपति अनुपस्थित रहे, उनकी मौत हो जाए या फिर वो इस्तीफा दे दें, तो उनकी गौर मौजूदगी में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाता है. सालेह ने तालिबान को लेकर कहा है कि जंग अभी खत्म नहीं हुई है. ऐसा माना जा रहा है कि वह अभी पंजशीर प्रांत में ही हैं और तालिबान के खिलाफ विद्रोह की तैयारी कर रहे हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, स्थानीय मुजाहिद्दीन लड़ाकों ने कुछ तालिबानियों को मार गिराया है और समूह से पुल-ए-हेसार, देह सलाह और बानु जिलों को वापस ले लिया है.