कोलंबो, 11 मार्च। श्रीलंका में टैक्स वृद्धि के खिलाफ कर्मचारी आंदोलन तेज हो गया है। अब कर्मचारियों ने 15 मार्च को आम हड़ताल का ऐलान किया है।
श्रीलंका में भीषण आर्थिक संकट से बाहर निकलने की प्रक्रिया चल रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की शर्तें पूरी करने के प्रयासों के तहत श्रीलंका सरकार ने आयकर दरों में भारी वृद्धि की है। श्रीलंका में लागू नई कर नीति के मुताबिक एक लाख रुपये प्रति महीने से अधिक कमाने वाले हर व्यक्ति को कर दायरे में लाया गया है। साथ ही आयकर की दर 36 फीसदी कर दी गई है। इसके खिलाफ कर्मचारी एवं शिक्षक आंदोलित हैं। कमर्चारियों ने 15 मार्च को आम हड़ताल का ऐलान किया है और इसे शिक्षकों का भी समर्थन मिल रहा है।
फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (एफयूटीए) की प्रवक्ता चारूदत्ता इलांगासिंघे ने पत्रकारों से कहा कि अब निर्णायक संघर्ष का समय आ गया है। अब अधिक इंतजार नहीं किया जा सकता। 15 मार्च के पहले सरकार को फैसला करना होगा, वरना 15 तारीख से देश में पानी, बिजली, जहाजरानी और यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की सेवाएं बंद हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि सरकार एक उचित कर प्रणाली का प्रस्ताव रखे तो कमर्चारी एवं मजदूर संगठन उस पर बातचीत के लिए तैयार हैं।
कर्मचारी एवं मजदूर यूनियन नेताओं ने कहा कि हम लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, किन्तु अब 15 मार्च को सब कुछ बंद कर दिया जाएगा। सिलोन बैंक एम्पलॉइज यूनियन के अध्यक्ष चन्ना दिसानायके ने ऐलान किया है कि बैंक कर्मचारी भी 15 मार्च की हड़ताल में शामिल होंगे। सिलोन बैंक एम्पलॉइज यूनियन में 18 अलग-अलग बैंकों की यूनियनें शामिल हैं। साथ ही सेंट्रल बैंक के कर्मचारियों की चार यूनियनें भी इसकी सदस्य हैं।
दिसानायके ने बताया कि कई प्राइवेट बैंकों के कर्मचारी भी आंदोलन में शामिल हैं। हम बैंकिंग सिस्टम के हिस्से के रूप में एकजुट हुए हैं और ट्रेड यूनियन गतिविधियों को तेज करने का फैसला किया है। इसमें 15 मार्च से शुरू हो रहे सप्ताह में हड़ताल का निर्णय भी शामिल है। जब पेशेवरकर्मियों पर अनुचित टैक्स लगाया जाता है तो उसका असर सिर्फ पेशेवरकर्मियों पर ही नहीं, बल्कि उनके नीचे के हर स्तर पर पड़ता है। इससे देश में आर्थिक मंदी की शुरुआत हो सकती है।