नीतीश कुमार ने बिहार के आठवीं बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है। हिन्दी पट्टी वाले राज्यों में एक तरफ भाजपा विपक्षी खेमे को पटखनी देकर सत्ता पर काबिज हो रही है, दूसरी ओर बिहार में भाजपा सत्ता में रहते हुए बिना चुनाव के बेदखल हो गई। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह नीतीश कुमार हैं। राज्य विधानसभा चुनाव में तीसरी नंबर की पार्टी होने के बावजूद नीतीश कुमार के हाथ सत्ता की चाबी रही। अब नीतीश कु्मार का बयान साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा संकेत दे रहा है। आम चुनाव में विपक्ष के पीएम कैंडिडेट के सवाल का नीतीश ने सीधा जवाब तो नहीं दिया लेकिन, यह जरूर कह डाला कि नरेंद्र मोदी 2024 में पीएम नहीं रहने वाले। उनका बयान राजनीतिक गलियारों में कई सवाल और संभावनाओं को पैदा कर रहा है
बिहार में बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के तहत नीतीश कुमार ने एनडीए से किनारा करते हुए महागठबंधन के साथ अपने नए रिश्ते को आगे बढ़ाया और एक बार फिर सत्ता की चाबी अपने हाथ पर ली। हालांकि इस बार उनके साथ डिप्टी सीएम के तौर पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव रहेंगे। राजभवन में शपथ लेने के बाद नीतीश कुमार ने भाजपा पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ वो अपना अलायंस दो महीने से तोड़ना चाह रहे थे। उन्होंने भाजपा पर उनकी पार्टी को बदनाम और नीचे दिखाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। 2019 में भले ही नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी को अपना समर्थन दिया था और महागठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा था कि विपक्ष का कोई भविष्य नहीं है लेकिन, नीतीश मन ही मन नरेंद्र मोदी को अपना समर्थन नहीं देना चाहते थे। उन्होंने नरेंद्र मोदी के समर्थन में अपना बयान भी देर में जारी किया था।
विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा वाले कई नेताओं में से एक हैं, जिनमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के अलावा कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल हैं। जनता दल (यू) राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने पटना में कहा कि हम आज कोई दावा नहीं कर रहे हैं, लेकिन उनमें एक प्रधानमंत्री के सभी गुण हैं।